देश में जब हरित क्रांति का नारा दिया गया, तो आगे बढ़कर हरियाणा और पंजाब ने देशवासियों को आश्वस्त किया कि वे खाद्यान्न के बारे में निश्चिंत रहें, उनको विदेश से अनाज मंगाने की जरूरत नहीं है। हरित क्रांति को अगर उत्तर भारत में किसी राज्य ने सफल बनाया, तो वह पंजाब और हरियाणा ही थे। गेहूं और चावल के साथ-साथ अन्य सहायक फसलों की पैदावार में हरियाणा उत्तर भारत में सबसे अव्वल रहा है। आज भी हरियाणा अन्न उत्पादन में किसी दूसरे राज्यों से कमतर नहीं है। लेकिन अब हरियाणा ने रंगीन गेहूं उत्पादन में भी महारत हासिल कर ली है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) और नेशनल एग्री फूड बायोटेक इंस्टीट्यूट ने मिलकर रंगीन गेहूं को विकसित किया है जो मधुमेह, कैंसर और हृदय रोगियों के लिए काफी फायदेमंद माना जा रहा है। रंगीन गेहूं की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह तनाव और मानसिक थकान को कम करने में बहुत सहायक है। इसमें पाया जाने वाला एंटीआक्सीडेंट तत्व एंबोसाइनिन पिगमेंटेशन रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। सामान्य गेहूं में एंबोसाइनिन महज पांच पीपीएम होता है, जबकि रंगीन गेहूं में यह 40 से 140 पीपीएम तक पाया जाता है।
हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का कहना है कि उनका लक्ष्य रंगीन गेहूं का उत्पादन बढ़ाकर सामान्य गेहूं के बराबर लाना है। अभी इसका उत्पादन कम होता है, लेकिन सामान्य गेहूं से लगभग दो-तीन गुना महंगा होने से कम उत्पादन में भी किसानों को अच्छा खासा लाभ दिला देता है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि वे बार-बार नए प्रयोग करके उत्पादन लक्ष्य बढ़ाने के कगार पर पहुंच गए हैं। अभी रंगीन गेहूं की उत्पादकता सामान्य गेहूं के मुकाबले 15 से 20 प्रतिशत तक कम है। सामान्य गेहंू की उत्पादकता 50 से 60 क्विंटल प्रति एकड़ है।
रंगीन गेहूं का दाम अधिक होने से कम उत्पादन में भी मुनाफा ज्यादा हो जाता है। यह भी एक तरह की हरित क्रांति है। आधुनिक जीवनशैली की वजह से पूरी दुनिया में कुछ रोग महामारी की तरह फैल रहा है जिसमें मधुमेह और कैंसर है। अपने ही देश में हर सातवां आदमी मधुमेह का रोगी पाया जा रहा है। पश्चिमी देशों ने तो सामान्य गेहूं का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि गेहूं और चावल की वजह से डायबिटीज और कैंसर जैसे रोग पनप रहे हैं। अब वे जौ, मक्का, बाजरा जैसे मोटे अनाजों की ओर लौट रहे हैं। भारत में भी पीएम मोदी की वजह से मिलेट्स की ओर लोगों ने ध्यान देना शुरू कर दिया है। अब मोटे अनाजों की कीमत बढ़ती जा रही है। लोगों ने अब अपने खाने में मोटे अनाजों का शामिल करना शुरू कर दिया है। इन रंगीन गेहूं का उपयोग यदि बहुतायत में किया गया, तो इसका बुरा प्रभाव शरीर पर पड़ने की आशंका है।
-संजय मग्गू