हिंदू समाज में मान्यता है कि विवाह सात जन्मों का बंधन है और जोड़ियां ऊपर से बनती हैं यानी जोड़ियां भगवान तय करता है। यही वजह है कि हिंदू धर्म में तलाक की कोई अवधारणा नहीं है। आपसी मतभेद के चलते भले ही पति-पत्नी अलग-अलग रहते हों, लेकिन विवाह टूटता नहीं है। हां, आजादी के बाद जब देश में संविधान लागू हुआ, तो ऐसी स्थिति से निपटने के लिए विवाह विच्छेद की व्यवस्था की गई। हरियाणा में कुछ पुरोहित और प्रेमी जोड़े इस सनातन परंपरा का मखौल उड़ा रहे हैं। पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने ऐसे मामलों में पुलिस को जांच करने का आदेश दिया है।
पिछले काफी दिनों से विभिन्न प्रदेशों के प्रेमी जोड़े भागकर पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट पहुंच रहे थे और अपने परिजनों से सुरक्षा की मांग कर रहे थे। हर दिन कई प्रेमी जोड़ों की गुहार से हाईकोर्ट भी परेशान हो गया। कोर्ट ने इससे पहले भी कहा था कि रोज-रोज अपनी याचिका लेकर पहुंचने वाले प्रेमी युगल के लिए कोई तंत्र विकसित करना होगा। पुलिस इन्हें अपने स्तर से इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करे और एक ऐसा तंत्र विकसित करे ताकि इन्हें अदालत तक आने की जरूरत ही न पड़े। फिलहाल, पुलिस ऐसा कोई तंत्र विकसित कर पाने में सफल नहीं हुई है। लेकिन शनिवार को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान जो चिंता जताई है, वह वाजिब भी है।
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हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि कई जोड़ों ने मंदिर में शादी करने की जो तस्वीर पेश की थी, उसमें मंडप एक ही था। पुरोहित भी एक ही था। जोड़ों ने जो वरमाला पहन रखी थी, उसमें फूल वास्तविक नहीं, कागज या प्लास्टिक के थे। असल में हाईकोर्ट में सुरक्षा की गुहार लगाने वाले ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश या अन्य राज्यों के थे, जो अपने घरों से भागकर आए थे। इन जोड़ों में से कुछ ने अलग-अलग दिनों में सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इस मामले में होता यह है कि हरियाणा और अन्य राज्यों में रहने वाले युवा जब आपस में प्रेम करने लगते हैं, तो जातीय या धार्मिक भिन्नता की वजह से परिजन इसका विरोध करते हैं।
कुछ युवा तो अपने परिजनों के विरोध के आगे हथियार डाल देते हैं, लेकिन कुछ बगावत कर जाते हैं। उन्हें सबसे आसान रास्ता घर से भागकर मंदिर या कोर्ट में शादी कर लेना लगता है। वे अपने या दूसरे राज्य में जाकर मंदिर में शादी कर लेते हैं। हाईकोर्ट की संज्ञान में जो मामला आया है, उसके मुताबिक विभिन्न जोड़ों की शादी के मामले में पुरोहित और मंडप आदि एक ही हैं। यह सचमुच हिंदू विवाह की रीति का उपहास उड़ाना है। हिंदू समाज में ऐसे विवाह मान्य नहीं होते हैं। ऐसा करना कानून और समाज की निगाह में धूल झोंकना है। जो पुरोहित ऐसी शादियां करा रहे हैं, वह भी हमारी परंपरा और संस्कृति से खिलवाड़ कर रहे हैं। ऐसी शादियों पर यकीनन रोक लगनी चाहिए।
-संजय मग्गू
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