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40 साल से रेल परियोजनाओं के पूरे होने की आस में लोग

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सड़कें और रेलमार्ग किसी भी देश या प्रदेश के विकास की आधारशिला होती हैं। जिस प्रदेश की सड़कें और रेलमार्ग विकसित होते हैं, वहां उद्योगपति पूंजी निवेश करने में भी रुचि लेते हैं। जब से हरियाणा पंजाब से अलग हुआ है, तब से प्रदेश सरकारों ने इसके विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी है, लेकिन इसके बाद भी कई सारे पहलू ऐसे हैं जो या तो छूट गए हैं या फिर उन पर काम नहीं हुआ है। कुछ रेल मार्ग भी ऐसे हैं जिन पर यदि केंद्र सरकार और राज्य सरकार ने तालमेल बिठाकर काम किया होता, तो शायद हरियाणा की दशा दिशा और ही होती। अफसोस की बात यह है कि यमुनानगर वाया रादौर, कुरुक्षेत्र के लाडवा और करनाल तक रेल लाइन बिछाने की मांग स्थानीय जनता पिछले चालीस साल से कर रही है। लोगों की मांग को देखते हुए रेल विभाग ने सर्वे भी कराया था, लेकिन चालीस साल बाद भी यह रेल मार्ग अभी तक ठंडे बस्ते में ही पड़ा हुआ है।

हरियाणा रेल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के अधिकारी इस परियोजना पर काम भी कर रहे हैं। इस परियोजना पर लगभग 1200 करोड़ खर्च होने का अनुमान है। यही नहीं, यमुनानगर से चंडीगढ़ वाया साढौरा, नारायणगढ़ रेल लाइन परियोजना भी चार दशकों से लटकी हुई है। जब भी स्थानीय लोग इस संबंध में अपनी आवाज उठाते हैं, प्रशासन उन्हें आश्वासन देकर चुप करा देता है। इस परियोजना का दो बार सर्वे भी हो चुका है। पूर्व मंत्री रतन लाल कटारिया ने वर्ष 2017 में सर्वे कराने के लिए 25 करोड़ रुपये भी जारी करवाए थे। सरकार भी इस मार्ग पर रेल लाइन बिछाने को तैयार है, लेकिन सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि रेल लाइन बिछाने के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है।

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किसान अपनी जमीन देने को तैयार ही नहीं हैं। जमीन अधिग्रहण का विरोध करने वाले लोग यह नहीं समझ पा रहे हैं कि यदि यह रेल लाइन पूरी हो जाती है, तो पंचकूला, यमुनानगर, पंजाब, अंबाला और चंडीगढ़ जैसे शहरों को काफी फायदा होगा। रेल मार्ग से कनेक्टिविटी बढ़ने से व्यापारिक गतिविधियां बढ़ेंगी। रोजगार का सृजन होगा। पानीपत से मेरठ तक रेल लाइन बिछाने की योजना सरकार ने वर्ष 2016 में बनाई थी।

सरकार ने आम बजट में करीब 3500 करोड़ रुपये का प्रावधान भी किया था, डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर रेल मंत्रालय को भी भेजी गई थी, लेकिन तब से अब तक इस परियोजना पर काम ही नहीं शुरू हुआ। यह परियोजना अब तक पूरी होने की राह देख रही है। इस परियोजना के पूरे न होने से तीस हजार से ज्यादा लोग सीधे प्रभावित हो रहे हैं। यही नहीं, हरियाणा में कई ऐसी परियोजनाएं हैं जो बनने के बाद से लेकर अब तक ज्यों की त्यों पड़ी हुई हैं। ये योजनाएं कब पूरी होंगी, यह रेल मंत्रालय और भगवान ही जानते हैं।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

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