माइकल फैराडे एक अंग्रेज वैज्ञानिक थे। उन्होंने रसायन शास्त्री के रूप में बेंजामिन की खोज की थी। उनकी मुख्य खोजों में प्रतिचुंबकत्व, विद्युत चुंबकीय प्रेरण और इलेक्ट्रोलिसिस थीं। उनकी खोजों ने समाज को एक नई दिशा दी। वह अत्यंत सादगी से रहना पसंद करते थे। एक बार की बात है। एक अंग्रेज अधिकारी को माइकल फैराडे से मिलना था किसी सरकारी काम से। वह उनको खोजते-खोजते रायल सोसाइटी पहुंचा। उसने रायल सोसाइटी के गार्ड से माइकल के बारे में पूछा, तो उसने लैब की ओर इशारा कर दिया। वह अधिकारी तुनक मिजाज था। वह बड़बड़ाता हुआ प्रयोगशाला की ओर बढ़ा। उसने पूरी प्रयोगशाला छान मारी, लेकिन उसे कोई नहीं दिखा। तभी उसने देखा कि एक बूढ़ा आदमी वहां रखी बोतलों और परखनलियों को साफ कर रहा है।
अधिकारी को देखकर उस बुजुर्ग ने कहा कि आप किसको खोज रहे हैं। अधिकारी ने कहा कि मैं एक बड़े वैज्ञानिक से मिलना चाहता हूं। तो बुजुर्ग ने कहा कि उसका नाम क्या है? यह सुनकर अधिकारी भड़क गया। उसने कहा कि वे इतने बड़े वैज्ञानिक हैं कि तुम उनसे मिलने में मेरी सहायता नहीं कर सकते हो। उस बुजुर्ग ने कहा कि अरे! आप उनका नाम तो बताइए। अधिकारी भड़क गया। उसने कहा कि तुम उस वैज्ञानिक से मुझे नहीं मिलवा सकते हो। बुजुर्ग ने कहा कि आप नाम तो बताइए।
शायद मैं आपकी मदद कर सकूं। अधिकारी ने नाम बताया, तो उस बुजुर्ग ने मुस्कुराते हुए कहा कि मैं ही माइकल फैराडे हूं। बताइए क्या काम है? यह सुनकर वह अधिकारी उनकी सादगी और विनम्रता से बहुत प्रभावित हुआ। वह उनके इन गुणों के प्रति नतमस्तक हो गया।