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पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों से पहले हिंसा चिंताजनक

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पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव की घोषणा के साथ प्रदेश में एक बार फिर कानून और व्यवस्था पटरी से उतर गई है। टीएमसी एक बार फिर पश्चिम बंगाल में चुनाव में बहुत आक्रामक नजर आ रही है। विरोधियों को नामांकन न करने देने की अपनी नीति पर कायम ममता सरकार कुछ भी कर सकती हैं। जगह जगह आगजनी, गुण्डागर्दी का नंगानाच देखा जा सकता है। पहले भी टीएमसी दूसरे दलों और निर्दलियों को नामांकन न करने देने के अपने फार्मूले पर हर हाल में चुनाव जीतना चाहती है। नामांकन के दौरान खूनखराबा एक आम बात लगती है। भाजपा नेताओं ने टीएमसी द्वारा की जा रही गुण्डागर्दी रोकने के लिए चुनाव आयोग और हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। सरकार से कोई उम्मीद करना बेकार है। साम, दाम, दण्ड, भेद कैसे भी पंचायत चुनाव में अपना दबदबा कायम रखना चाह रही है। आरोप लग रहे हैं कि टीएमसी सरकार दूसरे दलों के प्रत्याशियों को नामांकन करने से रोकने का प्रयास कर रही है। पश्चिमी बंगाल की पुलिस भी मूकदर्शक बनकर रह गई है।

टीएमसी के लिए पंचायत चुनाव जीतना प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। चुनाव आयोग और कोर्ट ने पंचायत चुनाव की तारीख आगे बढ़ाने से इन्कार कर दिया है। भाजपा और अन्य छोटे दलों ने चुनाव शांतिपूर्ण और निश्पक्ष हो, इसके लिए चुनाव प्रक्रिया के लिए अर्धसैनिक बलों की मांग की है। टीएमसी सरकार पर आरोप है कि वह अर्धसैनिक बलों की तैनाती का लगातार विरोध कर रही है। भाजपा का आरोप है कि ममता बनर्जी अपनी पुलिस से मनमाने ढंग से अपने पक्ष में काम लेंगी। चुनाव को हमेशा की तरह शांतिपूर्ण से न हो, डर और भय का वातावरण बनाकर पंचायत चुनाव में अपना प्रभाव दिखाएंगी।

पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले हिंसा की खबरें आने लगी हैं। चुनाव का माहौल काफी गर्म है। टीएमसी, भाजपा और इण्डियन सेक्युलर फ्रंट के कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए। इण्डियन सेक्युलर फ्रंट ने टीएमसी पर पंचायत चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों का नामांकन दाखिल करने से रोकने का आरोप लगाया है। पिछले दिनों पश्चिम बंगाल के विभिन्न क्षेत्रों में झड़प की घटनाएं प्रकाश में आईं जहां अज्ञात उपद्रवियों ने विपक्षी नेताओं पर कथित तौर पर उस समय हमला किया जब वह पंचायत चुनाव के लिए पर्चा भरने जा रहे थे।

दासपुर (पश्चिम मेदनीपुर), काक द्वीप, रानीनगर, शक्ति नगर, बर्शुल और मिनाखास में लगातार झड़प की सूचनाएं मिली हैं। बाकुड़ा जिले के सोनामुखी में भाजपा विधायक दिबाकर धरामी पर अज्ञात लोगों ने कथित तौर पर उस समय हमला किया, जब वह नामांकन केन्द्र की ओर जा रहे थे। कोलकाता हाईकोर्ट ने अर्धसैनिक बलों की तैनाती का रास्ता साफ कर दिया है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और भाजपा सहित अन्य दलों ने एक दूसरे पर हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया है। राज्य के कई जिलों में पंचायत चुनाव के नामांकन के पहले से ही हिंसा की घटनाएं हो रही हैं। पंचायत चुनाव से पहले राज्य चुनाव आयोग सभी दलों की एक बैठक करेगा। इस बैठक में सभी दलों की मांगों और शिकायतों को सुनने और कानून व्यवस्था की स्थिति पर चर्चा होगी। ममता बनर्जी की टीएमसी पंचायत चुनाव

अंशुमान खरे

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