अगर यह कहा जाए कि हिमालय खतरे में है या इस बात को इस तरीके से कहा जाए कि हिमालय के चलते एशिया के आठ देश भारत, पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार, नेपाल और अफगानिस्तान का अस्तित्व ही खतरे में पड़ने जा रहा है, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। यह खतरा ग्लोबल वार्मिंग के चलते हिमालयी ग्लेशियरों के पिघलने से मंडरा रहा है। साइंस एडवांसेज नामक पत्रिका में प्रकाशित रिपोर्ट बताती है कि यदि ग्लोबल वार्मिंग को स्थिर या घटाया नहीं गया, तो अगली सदी की शुरुआत तक हिमालय के 75 प्रतिशत ग्लेशियर पूरी तरह पिघल जाएंगे। इसका नतीजा यह होगा कि हिमालय से निकलने वाली नदियां या तो पूरी तरह सूख जाएंगी या फिर इनका स्वरूप किसी छोटे-मोटे नाले के रूप में रह जाएगा। एक बहुत बड़ी आबादी पीने के पानी को तरस जाएगी।
लोगों को आवश्यक कार्यों के लिए पानी नहीं मिलेगा। फसलें भी सूख जाएंगी क्योंकि नदियों में पानी न होने और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध न होने से इन देशों में फसल उत्पादन काफी कम हो जाएगा। नतीजा यह होगा कि इन देशों में गरीबी के साथ-साथ भुखमरी में बढ़ोतरी होगी। हिमालय के ग्लेशियरों से पिघली बर्फ पानी बनकर नदियों के माध्यम से जब समुद्र में मिलेगा, तो समुद्र का जलस्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ जाएगा। परिणाम यह होगा कि एशिया के इन आठ देशों के कई शहर जलमग्न हो जाएंगे। इन शहरों की आबादी को विस्थापन का शिकार होना पड़ेगा। इन शहरों में रहने वाले अमीर लोगों पर बहुत खास फर्क नहीं पड़ेगा। पैसे और पूंजी के बल पर ये लोग कहीं भी आशियाना और रोजगार खड़ा कर लेंगे, लेकिन इन शहरों में रहने वाले करोड़ों गरीब लोग कहां जाएंगे?
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इनके सामने खाने-पीने से लेकर रोजी रोजगार तक की समस्या मुंह बाए खड़ी होगी। यह लोग विस्थापित होकर जहां जाएंगे, उस स्थान के लिए एक मुसीबत की तरह होंगे। इनके साथ वैसा ही व्यवहार किया जाएगा, जैसा आज दूसरे देश से पलायन करके आने वालों के साथ होता है। तब अपने ही देश के दूसरे हिस्से से आने वाले इन लोगों को लोग हेय दृष्टि से देखेंगे। प्रकृति में हो रहे बदलाव का कारण धरती का लगातार बढ़ता तापमान है। यदि तापमान को नियंत्रित नहीं किया गया, तो हमारे सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी हो जाएंगी। पर्वतीय इलाकों में खड़ी की जाने वाली बहुमंजिली इमारतें, सीमेंटेड सड़कें और धुआं उगलने वाले वाहन पहाड़ों के पर्यावरण को बदल रहे हैं।
वन के कटान ने हिमालय को नंगा कर दिया है। आए दिन होने वाले भूस्खलन और बेतहाशा बारिश ने समस्या को और गहरा कर दिया है। हिंदुकुश हिमालयी क्षेत्र में बढ़ता तापमान हमें चेतावनी दे रहा है कि यदि हमने अपने में सुधार नहीं किया, तो निकट भविष्य में एक बहुत बड़ी आबादी को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इन क्षेत्रों में पानी की कमी के साथ-साथ भयानक बाढ़ का भी खतरा मंडरा रहा है।
-संजय मग्गू
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