–राजेश दास
नगर निगम के अधिकारियों की लापरवाही के कारण सरकार को राजस्व का नुकसान तो होता ही रहता है। साथ ही निगम की आर्थिक तंगी के कारण लोगों को भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरसना पड़ता है। क्योंकि निगम के अधिकारी शहर की छोटी छोटी समस्याओं को आर्थिक तंगी के बहाने लंबित करके रखते हैं। नगर निगम की कंगाली दूर करने के लिए प्रदेश सरकार ने करीब डेढ़ साल पहले लीज पर दी सम्पतियों को फ्री होल्ड करने की योजना बनाई थी। जिसके बाद अनेक लीज होल्डरों ने सम्पति फ्री होल्ड करवाने के लिए सरकार के पोर्टल पर आवेदन भी किया था। लेकिन अनेक अड़चनों के कारण लीज सम्पतियां फ्री होल्ड नहीं हो पाई। व्यापारियों का आरोप है कि एक ही जगह बनी दुकानों में कुछ को फ्री होल्ड किया है। जबकि अन्य दुकानों को सड़क पर बताकर रोक लगाई जा रही है। व्यापारियों का आरोप है कि निगम की प्लानिंग शाखा के अधिकारी साजिश के तहत सरकार को बदनाम करने के लिए सम्पतियों को फ्री होल्ड करने में रोड़ा अटका रहे हैं।
अड़चने लगा कर रहे परेशान
नगर निगम अधिकारियों की लापरवाही अथवा भ्रष्टाचार की वजह से शहर के लोगों को तो परेशानी हो ही रही है। साथ ही इनकी वजह से सरकार की भी बदनामी हो रही है। प्रदेश सरकार ने निगम की कंगाली दूर करने के लिए लीज सम्पतियों को फ्री होल्ड करने की पॉलिसी बनाई है। इस पॉलिसी के आने के बाद लीज सम्पतियों पर काबिज व्यापारी लगातार इन्हें फ्री होल्ड करवाने के लिए न केवल ऑनलाइन आवेदन कर रहे हैं। बल्कि निगम अधिकारियों द्वारा बार बार अड़चने लगाए जाने से निगम कार्यालय के चक्कर भी काट रहे हैं। लेकिन निगम अधिकारी लगातार इस काम मेंरोड़ा भी अटका रहे है। इसके बारे में पता चलने पर पिछले दिनों सीएम मनोहर लाल द्वारा संयुक्त आयुक्त से इसकी रिपोर्ट मांगी थी। संयुक्त आयुक्त गौरव अंतिल द्वारा गलत रिपोर्ट दिये जाने पर सीएम ने उन्हें निलंबित कर दिया था।
स्वार्थ के कारण कर रहे भेद भाव
व्यापारियों को कहना है कि सरकार ने करीब 50 साल से भी पहले शहर में जगह जगह दुकानें बनाकर उन्हें लीज परदी थी। उस समय सरकार ने बकायदा इन दुकानों का नक्शा भी पास करके दिया था। लेकिन अब निगम इनमें सेकुछ बाजारों की दुकानों को रास्ते में होने की बात कह रहा है। यदि यह रास्ता था तो फिर सरकार ने रास्ते में उन्हें दुकानें बनाकर क्यों दी। विभिन्न स्थानों परस्थित कई दुकानों निगम रास्ते पर बना रहा है। वहीं दूसरी तरफ इन्हीं स्थानों परस्थित कुछ दुकानों को तो निगम ने फ्री होल्ड कर भी दिया है। नीलम फ्लाइओवर के पास स्थित लीज की कुछ दिनों को निगम ने फ्री होल्ड किया है। जबकि अन्य लोगों को दुकानें रास्ते में होने की बात कहकर लौटाया जा रहा है। जिससे अधिकारी स्वार्थ स्पष्ट हो रहा है।
लीज सम्पतियों की बदल दी सूरत
सरकार ने लीज की सभी दुकानें एक मंजिला की बनाई थी। दुकानों के बाहर ग्राहकों के लिए ब्रामदें बनाए गए थे। लेकिन अब ब्रामदों पर कब्जे कर निर्माण कर लिया हैं। ज्यादातर दो से चार मंजिल तक की बन चुकी हैं। जबकि नियमों के मुताबिक लीज होल्डर के पास इन दुकानों में बदलाव करवाने और छत पर निर्माण करवाने का कोई अधिकार नहीं है। जबकि कई लीज होल्डर तो अपनी छत पर बनी मंजिलों को अलग-अलग लोगों के हाथों बेच कर जा चुके हैं। ऐसी दुकानों को निगम फ्री होल्ड करना भी चाहे तो मुश्किल होगी। हालांकि नगर निगम द्वारा ग्राउंड फ्लोर को भी फ्री होल्ड किया जा रहा है। वहीं व्यापारी अतिरिक्त किये गए निर्माण के बदले में नगर निगम तय की गई कम्पाउंड फीस भी देने के लिए तैयार है। लेकिन फिर भी रोड़ा अटकाया जा रहा है।
सरकार को कर रहे बदनाम
हरियाणा व्यापार मंडल के प्रधान राम जुनेजा का कहना है कि लीज की दुकानों पर काबिज व्यापारी सरकार द्वारा तय किये गए सभी शुल्क जमा करवा कर अपनी दुकानों को फ्री होल्ड करवाने के लिए लगातार निगम के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन निगम की प्लानिंग शाखा के अधिकारी किसी साजिश के तहत सरकार को बदनाम करने के लिए अड़चने लगा रहे हैं।