एनएच-तीन स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज के चिकित्सक और कर्मचारियों की मनमानी के कारण मरीजों को आए दिन परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।ऐसा में मरीजों का आए दिन समय नष्ट हो रहा है। मेडिकल कॉलेज में ओपीडी शुरू होने का समय साढे आठ बजे का है। लेकिन शनिवार को साढे आठ के बजाय ओपीडी सुबह सवा नौ बजे शुरू हुई । जिससे मरीज और उनके तिमारदार यहां परेशान हो गए। मरीजों के तिमारदारों ने बताया कि काफी विरोध के बाद ओपीडी शुरू की गई थी। जबकि कम्पनियों में काम करने वाले मजदूरों के लिए तो समय पर ओपीडी शुरू हो जानी चाहिए। ताकि वह अपने काम पर जा सके। जबकि मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की ओपीडी उनके अंशदान से ही चल रही है।
यह है पूरा मामला:
ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज की ओपीडी हर रोज सुबह साढे आठ से दोपहर साढे 12 बजे तक चालू रहती है। शनिवार को भी अन्य दिनो की तरह यहां सुबह साढे छह बजे से मरीजों की लम्बी लाईने लगनी शुरू हो गई थी। सात बजे सेक्टर-89 निवासी मयूर भी अपने दोनों बच्चों कनक और यूवान का इलाज करवाने के लिए पहुंच गए। जहां लाईन में लगने के बाद सवा आठ बजे उन्हें टोकन नम्बर 17 प्राप्त हुआ। इसके बाद ओपीडी स्लीप लेने को कहा गया। जहां साढे आठ बजे खुलने वाला काउंटर सवा नौ बजे तक बंद ही रहा। काफी विरोध करने के बाद खुला। मयुर ने बताया कि गार्ड से कई बार पूछने पर भी यहां कोई उचित जबाब नहीं मिल रहा था। मरीजों के कई बार विरोध के बाद काउंटर खुला। उन्होंने बताया कि कनक को निमोनिया इंफैक्शन और युवान को सर्जरी के कारण चिकित्सक को दिखाना था।
नहीं होती सुनवाई:
मयूर ने बताया कि ईएसआईसी में मजदूरों की कोई सुनवाई नहीं होती। वह बीते रविवार को अपने पिता जगदीश चंद को दौरा पड़ने पर यहां लेकर आए थे। जहां से अगले दिन ओपीडी में आकर दिखाकर दाखिल होने की बात कह कर चिकित्सकों ने उनके पिता को लौटा दिया। सोमवार को वह ओपीडी में पहुंचे, तो चिकित्सकों ने उन्हें दाखिल कर दिया। लेकिन बुधवार को उनका एमआरआई करने के लिए बोल दिया। लेकिन उनका एमआरआई बुधवार की बजाय लाख गुहार लगाने पर शुक्रवार को हुआ।