कविता
बेशक मां की तुलना इस संसार में किसी से नहीं की जा सकती। लेकिन बच्चों का ख्याल रखने में पिता भी कोई कमी नहीं छोड़ते। यह खबर भी काफी हद तक यह स्पष्ट कर रही है। जिसमें एक 54 वर्षीय पिता नेमाता-पिताऔर बच्चे के बीचका संबंध सबसे गहरे संबंधों मेंसे एक होता है। जब कोई बच्चा किसी बीमारी से जूझ रहा हो, तो माता-पिता का प्यार असाधारण तरीकों से सामने आ सकता है। यह बात एक बार फिर से साबित हो गई जब 54 वर्षीय पिता ने अपनी किडनी देकर अपने 26 वर्षीय बेटे का जीवन बचा लिया। बेटे की किडनियां फेल हो चुकी थीं और वह पिछले 2 वर्षों से हेमो डायलिसिस पर था। वह एक बार फिर से सामान्य लोगों की तरह जीवन जी सके, इसके लिए किडनी प्रत्यारोपण यानी किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उम्मीद की किरण थी।
देवेंद्र (बेटा) दो वर्षों से हेमो डायलिसिस पर था और उसकी स्थिति में कोई खास सुधार नहीं दिख रहा था। चूंकि सामान्य जीवन और अच्छी सेहत की उम्मीदें धुंधली होनी शुरू हो गई थीं, ऐसे में अपने बेटे की परेशानियों को खत्म करने के लिए पिता जिले सिंह की इच्छा शक्ति के साथ सामने आए। जिले सिंह ने अपने बेटे को अपनी किडनी देने का निर्णय किया, हालांकि इस पूरी प्रक्रिया में बहुत ही बड़ी शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियां सामने आने वाली थीं। इस प्रक्रिया के दौरान बहुत सारी जरूरी शर्तें थीं और पिता की उम्र को ध्यान में रखते हुए काफी जोखिम भी था, लेकिन जिले सिंह अपने बेटे को जीवन में दूसरा मौका देने की अपनी प्रतिबद्धता के प्रति अडिग रहे।
इस दौरान उनके बहुत सारे चिकित्सकीय परीक्षण भी किए गए, ताकि यह पक्का किया जा सके कि एक डोनर के तौर पर वे उपयुक्त हैं और भाग्य ने भी उनका साथ दिया क्योंकि देवेंदर और उनके पिता, दोनों काही ब्लड ग्रुप एक ही था और उनका डोनर-स्पेसिफिक एंटीबॉडी टेस्ट बी निगेटिव आया। किडनी ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, फरीदाबाद में डॉ. तेजेंद्र सिंह चौहान, सीनियर कंसल्टेंट नेफ्रोलॉजी के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम ने सफलता पूर्वक पूरी की।