ट्रिपल ‘पी’ यानी परिवार पहचान पत्र। एक ऐसा कार्ड, जो न केवल किसी शख्स-परिवार की प्रमाणिक पहचान बताता है, बल्कि सभी सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं से उसे जोड़ता है, उसकी वहां तक पहुंच आसान बनाता है। यह हरियाणा की मनोहर लाल सरकार की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। एक ऐसा सुव्यवस्थित सिस्टम, जो लोगों की जरूरतों को समझता है और उनका निदान सुनिश्चित करता है। यह प्रदेश सरकार के सतत् प्रयासों का ही सुफल है कि आज 68 लाख परिवारों का संपूर्ण सत्यापित डाटा ट्रिपल ‘पी’ के माध्यम से शासन के पास मौजूद है। वास्तव में परिवार पहचान पत्र एक कल्याणकारी योजना है। समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों को उनकी जरूरत के मुताबिक कैसे सहायता पहुंचाई जाए, पीपीपी इसे सुनिश्चित करने में काफी मददगार साबित हो रहा है।
शिक्षा, स्वास्थ्य एवं रोजगार आदि व्यवस्थाओं तक आम जन की सहज पहुंच कैसे बनाई जा सकती है, पीपीपी इसका खाका सामने रखता है। जरूरत सिर्फ इसे समझने और अमल में लाने की है। मालूम हो कि पिछले दिनों करनाल जिले के एक गांव में आयोजित जन-संवाद के दौरान मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने बताया था कि प्रदेश के 60 हजार पात्र बुजुर्गों की पेंशन अपने आप बन गई, तो लोग आश्चर्य चकित रह गए। दरअसल, यह करिश्मा ट्रिपल ‘पी’ यानी परिवार पहचान पत्र के चलते संभव हुआ। पिछले एक साल से प्रदेश सरकार का पूरा जोर इस बात पर है कि कोई भी शख्स परिवार पहचान पत्र में दर्ज होने से बाकी न रह जाए, क्योंकि सभी सरकारी सुविधाओं एवं सेवाओं के तार ट्रिपल ‘पी’ से जुड़े हैं।
मुख्यमंत्री के मुताबिक, ट्रिपल ‘पी’ को सभी सरकारी योजनाओं-कार्यक्रमों से इसलिए जोड़ा गया है, ताकि आम जन को किसी योजना-सुविधा का लाभ लेने के लिए इधर-उधर भटकना न पड़े। सीएम मनोहर लाल ने यह भी बताया कि राज्य सरकार 18 लाख बुजुर्गों-विधवाओं की पेंशन के मद में 460 करोड़ रुपये प्रति माह खर्च कर रही है। उन्होंने कहा कि डाटा के साथ कोई छेड़छाड़ न हो सके, इसके लिए कई चेक व बैरियर भी लगाए गए हैं, ताकि डाटा हर हाल में फुलप्रूफ रहे। यह प्रदेश सरकार की एक बड़ी कामयाबी है।
संजय मग्गू