कविता, देश रोजाना।
फरीदाबाद। जहां आज विखंडित परिवारों को प्रचलन बढ़ रहा है। वहीं आश्रम में एक ही छत के नीचे एक अविवाहित मां अनामिका 62 बच्चियों को पाल रही है। अनामिका सरस्वती वैदिक संस्थान ट्रस्ट में कॉलेज की तरफ से वॉयलेंटियर के तौर पर आती थी। अध्यापक बन जाने पर वह यहां बच्चियों को पढ़ाने आने लगी। लेकिन एक दिन ऐसा आया कि बच्चियों के बीच उन्होंने आना बंद कर दिया। लेकिन बच्चियों को लगाव इतना अधिक हो गया कि बच्चियों ने उन्हें फोन मिलाकर बुलाना शुरू कर दिया। वे 20 साल से परिवार छोड़कर बच्चियों के साथ रह रही हैं।
इसलिए बदला नाम
सेक्टर-15 में फाउंडर शांति सहगल ने 1992 में सरस्वती वैदिक संस्थान ट्रस्ट की शुरूआत की थी। जिसमें अनाथ बच्चियों को रखा जाता था। वह आर्य समाज से जुड़ी एक रिटायर्ड टीचर थी। आश्रम की बच्चियां ओल्ड फरीदाबाद के सरकारी स्कूल में पढ़ती थी। उसी दौरान अनामिका भी इस कार्य में जुट गई। शांति सहगल की मौत के बाद उनके आश्रम को अनामिका ने संभाला। शांति सहगल के आर्य समाज से जुडी होने के कारण आश्रम का नाम आर्य कन्या सदन रखा गया।
ऐसे बढ़ी सुविधाएं
अनामिका ने बताया कि बच्चियां उन्हें फोन कर अपनी परेशानियां शेयर करती थी, तो उन्हें लगाव हो गया। ऐसे में वह दान लेकर सुविधाओं को पूरा करने में जुट गई। पहले तो यहां जनरेटर की सुविधा की। बच्चियां पहले नीचे सोती थी, उनके लिए बिस्तर लगवाने का काम किया। सरकारी स्कूल से निकालकर निजी स्कूलों में दाखिले करवाये। सभी बच्चियां नामचीन स्कूलों में पढ़ती हैं और 80 प्रतिशत अंक तक प्राप्त कर रही है।
कर रही शादियां
अनामिका ने बताया कि बच्चियों के बालिग होने पर उनकी शादियां करने तक का जिम्मा उठाती हैं। अब तक आश्रम में 74 शादियां हो चुकी है। उक्त बच्चियों को केएल मेहता, स्कोर्ल्स प्राईड, एबीएन, एमवीएन समेत अन्य कई स्कूलों में पढ़ाया जा रहा है, लेकिन स्कूलों में कुछ प्रतिशत ही फीस में छूट दी जाती है।
सभी मेरी बेटियां हैं
अनामिका ने बताया कि यहां रह चुकी विवाहित बेटियां कागु्रप बना रखा है। साल में एक से दो बार जून और नए साल पर उन्हें आश्रम में बुलाया जाता है। टूर प्लान किए जाते हैं। उनके पतियों से मिलने के लिए वह बाहर मिलने का प्लान भी बनाती है। आश्रम में गत 25 जून और तीन जुलाई को दो शादियां थी। इन शादियों विवाहित बेटियां परिवार के तौर पर आई थी।
फिलहाल 62 बच्चियां
अनामिका ने बताया कि फिलहाल आश्रम में पांच से 21 साल तक की 62 बच्चियां रह रही है। पांच बच्चियां बाहर होस्टल और पीजी में उम्र अधिक होने के कारण रह रही है। जिनका खर्च आर्य कन्या सदन उठा रहा है। इनमें से एक दिल्ली और एक हिसार से पढ़ रही है। तीन पीजी में रहकर जॉब कर रही है। लेकिन उनकी शादी होने तक उनका खर्च उन्हें आश्रम ही दे रहा है।