फरीदाबाद। विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता का एक ब्यान समाचार पत्रो में चल रहा है कि अगर विधायक नीरज शर्मा अपनी जिद पर अडे रहे तो सर्वश्रेष्ठ विधायक पुरस्कार वापिसी पर विधानसभा विचार कर सकती है। विधानसभा अध्यक्ष के ब्यान पर आज विधायक नीरज शर्मा ने पत्रकारो से बातचीत करते हुए कहा कि अवार्ड, सम्मान या पुरस्कार की अपनी महत्ता है अपना एक स्थान है लेकिन इस अवॉर्ड की लालसा में मैं अपने सिद्धांतों से समझौता कर लूं ये मुझे मंजूर नहीं।
जनसेवा के लिए मिलता
सर्वश्रेष्ठ का पुरस्कार मुझे अपनी कर्तव्यनिष्ठा और जनता से प्राप्त समर्थन एवं स्नेह के बदौलत मिला था। आज उसी जनता की हक के लिए मैंने आवाज उठाई है तो मुझसे मेरे पुरस्कार को छीनने की बात उठ रही है। अगर मैं आज पीछे हट जाता हूं तो इस पुरस्कार की गरिमा पर आंच आएगी क्योंकि यह पुरस्कार जनसेवा के लिए मिलता है, कठपुतली बनकर जनता को धोखा देने के लिए नहीं। सच कहूं तो मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं क्योंकि जनता के मुद्दे को पकड़कर चलने का जो संस्कार मुझे कांग्रेस पार्टी से मिला है आज मैं उसे अम्ल में ला रहा हूं। एनआईटी 86 की जनता मेरी सबसे बड़ी ताकत है और यही मेरी पूंजी है। अपनी जनता के हक का गला घोटकर मैं किसी पुरस्कार का बंधक नहीं बन सकता। मेरे क्षेत्र के विकास के आगे ऐसे कई पुरस्कार कुर्बान हैं। विधायक नीरज शर्मा का कहना था कि भाजपा का दोहरा चरित्र लोगो के सामने आ रहा है।
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प्रभु सियाराम का नाम
विधायक नीरज शर्मा ने पत्र लिखकर एंव पत्राकरो के माध्यम से विधानसभा अध्यक्ष से मांग करी कि मुझे लिखित में बताया जाए कि मेरे कपडों पर क्या अशोभनीय है क्या असासंदीय है। क्या इस देश में प्रभु सियाराम का नाम, स्वास्तिक का निशान, रामायण की चौपाई, दोहे अमर्यादित है। इसके इलावा विधायक नीरज शर्मा ने पुन विधानसभा अध्यक्ष से मांग करी की मुझे मिलने का समय दे और इस बारे बताए।
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