– राजेश दास
नगर निगम, एचएसवीपी और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों की लापरवाही से औद्योगिक नगरी स्मार्ट से ज्यादा डेथ सिटी बनती जा रही है। जिससे लगता है कि संबंधित अधिकारी सरकार की योजना को पलीता लगाने में जुटे हुए हैं। शहर भर मेंजहांदेखोंवहींसीवर के मैनहॉल के ढक्कन टूट चुके हैं या फिर गायब हैं। शहरकी रिहायशी कालोनियों औरसेक्टरों मेंकहीं खुले मैनहॉल और नाले देखे जासकते हैं। शहर में जगह जगहसीवर के खुले मैनहॉल दुर्घटनाओं को न्यौता दे रहे हैं। शनिवार कीशामकोसेक्टर 59 में खुले मैनहॉल मेंगिरकर चारसाल के एक बच्चेंकी जान चली गई।इससे पहले भी खुले मैनहॉल और नालों मेंगिरकर अनेक लोगोंकी जान जा चुकी है। लेकिन इन हादसों के बाद भी संबंधित विभाग सबक लेने की जरूरत महसूस नहीं करते। क्योंकि दबाव पड़ने पर पुलिसद्वारा संबंधित विभाग के अधिकारियों पर मामला तोदर्ज कर लिया जाता है। लेकिन कार्रवाई नहीं होती।
ढक्कन में घोटाले की आशंका
निगम अथवा एचएसवीपी के अधिकारियों को आईएसआई मार्का ढक्कन की खरीद से कोई फायदा नहीं होता। ऐसे में अपने फायदे के लिए अधिकारियों द्वारा कायदे कानूनों को ताक पर रख कर घटिया किस्म के मैनहॉल के ढक्कन खरीद लिए जाते हैं। इन ढक्कनों में घटिया सामाग्री का इस्तेमाल किया जाता है। घटिया सामाग्री से बने ढक्कन कम कीमत पर उपलब्ध होजाते हैं। लेकिन अधिकारियों द्वारा इन ढक्कनों का भुगतान आईएसआई मार्का की कीमत के बराबर ही किया जाता है। भारी वाहनों के गुजरने पर यह घटिया सामाग्री से बने ढक्कन कुछ ही समय में टूट जाते हैं। निगम से शिकायत करने के बाद भी इन टूटे ढक्कनों को लंबे समय तक बदलने की जरूरत महसूस नहीं की जाती है। घटिया सामाग्री से बने टूटे हुए मैनहॉल के ढक्कनों कोशहर भर में कहीं भी आसानी से देखा जा सकता है।
आसानी से नहीं बदलते ढक्कन
ढक्कन टूट जाने पर शिकायत मिलने पर भी उन्हें बदला नहीं जाता। कई स्थानों पर सीवर के मैनहॉल सडक से ऊंचे या गहरे बने हुए हैं। जिसके कारण इनसे आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है। मुजेसर रेलवे फाटक के पास भारी वाहनों का आवागमन होता है। लेकिन यहां थोड़ी थोड़ी दूरी पर आए दिन ढक्कन कई दिनों से टूटे रहते हैं। संजय कालोनी की 33 व 22 फुट रोड पर कई स्थानों पर ढक्कन टूटे है और कई गलत तरीके से बने हैं। जवाहर कालोनी की शांति निकेतन रोड के मैन चौराहे पर ढक्कन सडक से छह इंच गहरा धसा हुआ है। सारन स्कूल रोड पर कई स्थानों पर टूटे है सीवर के ढक्कन। इसके अलावा प्रैस कालोनी, जवाहर कालोनी, संजय कालोनी और पर्वतीय कालोनी में दर्जनों की संख्या में सीवर के मैनहॉल सडक से ऊंचे या गहरे बने हुए हैं।
खुले मैनहॉल से हुए हादसे
– 17 जून 2023 को खुले मैनहॉल में गिरकर चार साल के आनंद की मौत।
– पांच मार्च 2021 को ढक्कन टूटने से पलटे टैक्टर के नीचे दबकर महिला की मौत।
– 26 अक्टूबर 2013 को भारत कालोनी में तीन साल की काजल की मैनहॉल में गिरकर मौत।
– नौ अक्टूबर 2015 को राजीव कालोनी में दो साल की निशा की मैनहॉल में गिरकर मौत।
– 13 जुलाई 2010 को सेक्टर 55 में अमरजीत के पांच साल के बेटे इंद्रजीत की मैनहॉल में गिरकर मौत।
– तीन जून 2016 को पल्ला में मैनहॉल में गिरी पूनम को बचाने के प्रयास में लक्ष्मण की मौत।
– 19 फरवरी 2018 को आकाश खेड़ी रोड पर मैनहॉल में गिरकर हुआ था घायल।
– जनवरी 2022 को सेक्टर 56 में मैनहॉल में गिरकर बैंक कर्मी की मौत हुई है।
होती है विभागीय कार्रवाई
इस तरह के हादसों को लेकर सम्पर्क करने पर निगमायुक्त जितेंद्र दहिया ने बताया कि वे अवकाश पर है। फोन पर सम्पर्क करने पर निगम के चीफ इंजीनियर वीरेंद्र कर्दम ने कहा कि बच्चे की मौत एचएसवीपी के सेक्टर 59 में हुई है। इसके बारे में एचएसवीपी के अधिकारी बता सकते हैं। वैसे निगम क्षेत्र में होने वाले हादसों में जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई की जाती है।