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बिल्डरों को फायदा देने की साजिश तो नहीं है पश्चिमी फरीदाबाद से बेरूखी

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दिल्ली-मथुरा रोड के दाई ओर बसे पश्चिमी फरीदाबाद के साथ लंबे समय से अघोषित सौतेला व्यवहार हो रहा है। पश्चिमी फरीदाबाद में बसे एनएच एक, दो, तीन और पांच  विभिन्न कालोनी, सेक्टर 22, 23और 55, औद्योगिक क्षेत्र सेक्टर 24 व 25 में समस्याओं का अम्बार लगता हुआ है। स्मार्टसिटी परियोजना से भी यहां के ज्यादातर हिस्से को दूर रखा गया। मास्टर प्लान के तहत ग्रेटर फरीदाबाद में तो विकास करवाए जा रहे हैं, लेकिन शहर के पश्चिम भाग में मास्टर प्लान का कोई काम नजर नहीं आ रहा है। यहां मौजूद पानी, बिजली, सड़क, जलभराव, सीवर ओवरफ्लो, पार्किंग, यातायात जाम और कई तरह की समस्याओं से लोग पलायन करने लगे है। इस हिस्से में रहने वाले लोग मकान बेच कर ग्रेटर फरीदाबाद का रूख कर रहे हैं। जिससे लोगों को संदेह हो रहा है कि कहीं बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए इस इलाके की बेरूखी तो नहीं हो रही । हालांकि ग्रेटर फरीदाबाद में भी समस्याओं की कमी नहीं है।

कालोनियां है दुर्दशा की शिकार

पश्चिमी फरीदाबाद यानी एनआइटी और बड़खल विधानसभा क्षेत्र की जवाहर कालोनी, संजय कालोनी, डबुआ कालोनी और एसजीएम नगर समेत दर्जनों कालोनियां बसी हुई है। इनमें से एक आध को छोड़कर ज्यादातर कालोनियां मान्यता प्राप्त हैं। जिसमें सरकार की तरफसे समय समय पर वर्षो से विकास कार्य भी करवाए जाते रहे हैं। लेकिन पिछले करीब एक दशक के दौरान इनमें से ज्यादातर कालोनियां दुर्दशा का शिका रहो चुकी हैं। इन इलाकों के लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए बुरी तरह तरस रहे हैं। संबंधित विभागों से शिकायत करने पर समस्याओं का समाधान करने के नाम पर सिर्फ दिखावा किया जारहा है। गर्मी में तो यहां पानी के लिए हा-हाकार मचता ही है, सर्दी में भी कई कई दिनों बाद पानी सप्लाई होता है। जिससे इन कालोनियों के अनेक लोग मकान बेचकर ग्रेटर फरीदाबाद में रहने लगे हैं।

सेक्टरों की हालत भी दयनीय

यहां स्थित सेक्टर 22, 23 और 55 को एचएसवीपी ने वर्षो पहले योजन बंद तरीके से बसाया था। वहीं हालही में सेक्टर 56 और 56ए बसाए गए हैं। लेकिन नए अथवा पुराने सभी सेक्टरों में समस्याओं का अम्बार लगा हुआ है। गर्मी शुरू होते ही पेयजल की समस्या गंभीर हो जाती है। जरासी बरसात आते ही प्रत्येक गलियां और सड़कें जलमग्न हो जाती हैं । हालत यह है कि इन सेक्टरों और कालोनियों की हालत में कोई अंतर नजर नहीं आता । इस हिस्से में स्थित एनएच एक, दो, तीन और पांच रहने लायक थे। लेकिन यहां पिछले करीब दो दशकों से बन रहे बिल्डर फ्लैटों की वजह से इलाके की सूरत बिगड़ चुकी है। बिना स्टिल्ट पार्किंग के बने चारसे छह मंजिला फ्लैटों के कारण पार्किंग की समस्या गंभीर हो गई है। जिससे लोग पलायन कर रहे हैं।

ग्रेटर फरीदाबाद यानी मृगतृष्णा

पश्चिमी फरीदाबाद की समस्याओं से त्रस्त लोग बेशक ग्रेटर फरीदाबाद की चमक दमक वाली सोसायटियों का रूख कर रहे हैं। लेकिन ग्रेटर फरीदाबाद में भी समस्याओं की कोई कमी नहीं है। विभिन्न सोसायटियों के निवासियों और बिल्डरों के बीच आए दिन कोई न कोई विवाद खड़ा रहता है। कई सोसायटियों में बिल्डर मनमाना मैंटीनेंस चार्ज और बिजली का शुल्क वसूला रहे हैं। ग्रेटर फरीदाबाद में दबंगों का आतंक भी कम नहीं है। इनकी मर्जी के बिना लोग सुरक्षा कर्मी तो दूर घरेलू सहायक तक नहीं रख पाते। सीवर के पानी की निकासी को लाखों रुपये टैंकर का भुगतान करना पड़ता है। यहां कई समस्याओं से लोग जूझ रहे हैं। अभी तो यहां आबादी कम है, आबादी बढ़ने पर ग्रेटर फरीदाबाद की हालत बदतर  हो सकती है। लेकिन इसके बावजूद बिल्डर लोगों को सुहावने सपने दिखा कर लगातार मकान बेच रहे हैं।

बदहाल है पश्चिमी भाग

समाजसेवी धीरज गोयल का कहना है कि शहर के पश्चिमी भाग को आजादी के बाद पाकिस्तान से पुरूषार्थियों के लिए बसाया था । इस भाग के लोगों ने अपनी मेहनत के बल परदेश और दुनिया में शहर को एक पहचान दिलाई थी। लेकिन इसके बावजूद इस पश्चिमी भागके करीब करीब सभी इलाकों के साथ संबंधित विभागों द्वारा न जाने क्यों सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

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