सुप्रीम कोर्ट में जम्मू कश्मीर मामले पर अनुच्छेद 370 के तहत सुनवाई चल रही है। सुनवाई के सातवें दिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि क्या आप अनुच्छेद 370 खत्म करने की केंद्र की मंशा का आंकलन करने को न्यायिक समीक्षा चाहते हैं। कोर्ट ने यह भी कहा कि न्यायिक समीक्षा के दौरान अगर उसमें कोई उल्लंघन पाया गया तो यह कोर्ट का हस्तक्षेप भी करेगी इसके साथ ही पीठ ने टिप्पणी करते हुए यह भी कहा कि क्या आप हमसे अनुच्छेद 370 निरस्त करने की सरकार के निर्णय के अंतर नहीं विवेक की न्यायिक समीक्षा करने को कह रहे हैं। पीठ की तरफ से 370 हटाने के खिलाफ दाखिल याचिकाओं पर बहस के दौरान यह बात की गई। जवाब देते हुए याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि मैं संविधान के साथ की गई धोखाधड़ी की बात कर रहा हूं उनका यह भी कहना था कि इस मामले में सत्ता का संसदीय प्रयोग पूरी तरह से सत्ता के रंग में रखा हुआ था वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने बताया कि ऐसा माहौल इसलिए किया गया क्योंकि जम्मू कश्मीर की विधानसभा भंग कर दी गई थी और इस प्रकार संसद के पास शक्ति थी और राष्ट्रपति के पास अनुच्छेद 356 के तहत शक्ति थी
वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे की तरफ से संविधान पीठ को यह भी बताया गया कि केंद्र की सत्ता में बैठी भाजपा ने अपनी घोषणा पत्र में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का वादा किया था वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि शीर्ष कोर्ट ने फैसला दिया था कि राजनीतिक दलों की यह घोषणा पत्र संवैधानिक योजना और भावना के खिलाफ नहीं हो सकते हैं तो वही डीपीएपी के अध्यक्ष गुलाब नबी आजाद ने सुप्रीम कोर्ट के वकील कपिल सिब्बल से मुलाकात भी की और उन्होंने अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के केंद्र के कदम के खिलाफ कोर्ट में दी जा रही उनकी दलीलों की तारीफ की।
कोर्ट का कहना संवैधानिक उल्लंघन पाया गया तो हम दखल देंगे-
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