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महाराष्‍ट्र सियासत पर संकट : भतीजे के खेल में चाचा हुए फेल

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-नम्रता पुरोहित कांडपाल

हरियाणा प्रदेश के पूर्व सीएम हुड्डा ने बिहार बाबू के नेतृत्‍व में पाटलीपुत्र की धरती पर हुई विपक्ष की महागठबंधन की बैठक को अच्छा कदम बताया है, उन्होने कहा है कि ये एक सकारात्मक कदम है। लेकिन क्या ये गठबंधन 2024 में कुछ कमाल कर पाएगा। ऐसा होता कुछ भी दिखाई तो नहीं पड़ रहा है। हालांकि बेंगलुरु में होने वाली अगामी बैठक से थोड़ी उम्मीपद तो अभी भी बनी हुई है। ऐसा हम इसलिए कह रहें है क्योंकि जो भूचाल महाराष्ट्र की राजनीति में मच गया है और राजनीतिक के चाणक्य कहे जाने वाले यानी की शरद पवार की अपनी पार्टी और जिंदगी में भी मचा है। क्योंकि उनके भतीजे ने जो हंगामा मचाया है अब उसका असर तो महागठबंधन और 2024 के चुनाव दोनों पर ही पड़ेगा इससे तो इंकार नहीं किया जा सकता है। क्योंंकि महाराष्ट्र में भतीजे ने खेला कर दिया है जिसमें चाचा फेल हो गए है। लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल मचा हुआ है।

भूचाल को मचाने वाले हैं अजीत पवार जिन्होंने अपने एनसीपी नेताओं के साथ उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कह दिया कि उनके इस कदम में शरद पवार की कोई भी ट्रिक काम नहीं आने वाली है। इसके इतर अब एनसीपी में टूट के बाद शरद पवार के गुट ने देर रात विधानसभा स्पीकर को खत लिखा। जिसमें शिंदे सरकार में मंत्री पद की शपथ लेने वाले सभी विधायकों की सदस्यता रद्द कराने की मांग की गई। क्योंकि उन्होंने अपनी पार्टी एनसीपी के खिलाफ जाकर यह काम किया था, शरद पवार कह रहे हैं कि वह अपनी पार्टी को एक बार फिर से खड़ा करेंगे और जनता भी एनसीपी को चाहती है और उधर शिवसेना आरोप यह लगा रही है कि बीजेपी ने जो शिवसेना के साथ किया अब वही वो एनसीपी के साथ कर रही है।

मगर शिंदे गुट का यह कहना है कि अजित पवार को लगातार दबाया जा रहा था। उनकी पार्टी में ही उनको कोई सुनने वाला नहीं था। इसलिए अजीत पवार ने ऐसा कदम उठाया, अजित पवार ने जो एनसीपी को झटका दिया है। उससे एनसीपी कार्यकर्ता आक्रोश में है तो वहीं अजित पवार के समर्थक जश्न मना रहे हैं। हमने आपको पहले ही कहा था कि राजनीती का ऊंट कब किस करवट बैठेगा ये कोई नहीं जानता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है महाराष्ट्रर की सियासत में अब इसका आने वाले चुनाव में क्याम असर पड़ता है ये तो आने वाला वक्तम ही बताएगा।

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