जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने वादा किया था कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो वे दरबार मूव की परंपरा को फिर से शुरू करेंगे, जिसे तीन साल पहले बंद कर दिया गया था। अब, राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार बन चुकी है और फारूक अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री हैं। खबर है कि जम्मू-कश्मीर में दरबार मूव की परंपरा को बहाल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी सूत्रों ने बताया है कि इस संबंध में प्रशासनिक सचिवों और विभाग प्रमुखों को 11 नवंबर से जम्मू के सिविल सचिवालय में उपस्थित होने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या है दरबार मूव?
दरबार मूव एक परंपरा है जिसमें जम्मू-कश्मीर का राज्य सचिवालय और अन्य सरकारी कार्यालय गर्मियों के मौसम में श्रीनगर और सर्दियों में जम्मू स्थानांतरित होते थे। इस परंपरा की शुरुआत 1872 में महाराजा रणबीर सिंह के शासनकाल में हुई थी और यह 2021 तक जारी रही।
दरबार मूव को पहली बार 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान अस्थायी रूप से निलंबित किया गया था। इसके बाद, 20 जून 2021 को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने ई-ऑफिस प्रणाली को लागू करते हुए इस परंपरा को औपचारिक रूप से समाप्त करने की घोषणा की। इस निर्णय का विरोध करते हुए नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस ने इसे फिर से शुरू करने की मांग की थी।
फारूक अब्दुल्ला का वादा
चुनाव प्रचार के दौरान फारूक अब्दुल्ला ने उधमपुर में एक रैली में कहा था, “अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस की सरकार सत्ता में आई, तो हम दरबार मूव को बहाल करेंगे। इस प्रथा के समाप्त होने से दोनों क्षेत्रों को नुकसान हुआ है। जिन्होंने इस प्रथा की शुरुआत की थी, वे महाराजा पागल नहीं थे। दरबार मूव से कश्मीर और जम्मू के बीच एक संबंध बना था, जिसे भाजपा ने खत्म कर दिया।”