Jharkhand New Chief Justice Bidyut Ranjan Sarangi: न्यायमूर्ति विद्युत रंजन सारंगी ने शुक्रवार को झारखंड उच्च न्यायालय (Jharkhand New Chief Justice) के 15वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन ने राजभवन में सारंगी को पद की शपथ दिलाई। शपथ ग्रहण समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विधानसभा अध्यक्ष रवींद्र नाथ महतो के अलावा कई न्यायाधीश और वरिष्ठ सरकारी अधिकारी भी शामिल हुए।
कैबिनेट सचिव वंदना ददेल ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा जारी नियुक्ति पत्र पढ़ा। न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा के 28 दिसंबर, 2023 को सेवानिवृत्त होने के बाद से झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (Jharkhand New Chief Justice) का पद रिक्त था। केंद्रीय विधि और न्याय मंत्रालय ने तीन जुलाई को न्यायमूर्ति सारंगी को उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने के संबंध में अधिसूचना जारी की थी।
झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि राज्य को नए मुख्य न्यायाधीश मिल गए हैं। हम न्याय के लिए मिलकर काम करेंगे और जल्द से जल्द सबसे गरीब व्यक्ति तक भी न्याय पहुंचाएंगे। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संवाददाताओं से कहा कि आखिरकार हमें नए मुख्य न्यायाधीश (Jharkhand New Chief Justice) मिल गए हैं। मुख्य न्यायाधीश का पद काफी महत्वपूर्ण होता है। उच्चतम न्यायालय ने करीब सात-आठ माह पहले ही झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर उनकी नियुक्ति की घोषणा कर दी थी, लेकिन मुझे नहीं पता कि केंद्र सरकार ने उन्हें यहां भेजने में इतनी देर क्यों की। मेरा मानना है कि उनकी नियुक्ति को पहले भी किया जा सकता था।
ओडिशा के नयागढ़ जिले में 20 जुलाई 1962 को जन्मे सारंगी (Jharkhand New Chief Justice) इससे पहले उड़ीसा उच्च न्यायालय में न्यायाधीश थे। उनकी शादी निरुपमा सारंगी से हुई और उनकी दो बेटियां हैं। सारंगी ने उत्कल विश्वविद्यालय से संबद्ध एमएस विधि कॉलेज, कटक से एलएलबी और एलएलएम की डिग्री हासिल की। इसके अलावा, उन्होंने संबलपुर विश्वविद्यालय से विधि शिक्षा में पीएचडी की। वह दिसंबर 1985 में बार में शामिल हुए और उड़ीसा उच्च न्यायालय तथा उच्चतम न्यायालय में प्रैक्टिस की।
उन्होंने विशेष रूप से दिवानी, आपराधिक, संवैधानिक, राजस्व, कर, श्रम, सेवा, खनन, शिक्षा, बिजली, बीमा, बैंकिंग, टेलीफोन, चुनाव और अन्य क्षेत्रों से संबंधित मुकदमे लड़े। एक वकील के रूप में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन और पेशेवर नैतिकता के उच्च मानकों के लिए उन्हें 2002 में उड़ीसा उच्च न्यायालय के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति पीके बालसुब्रमण्यम द्वारा स्वर्ण पदक के साथ हरिचरण मुखर्जी मेमोरियल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पदोन्नति के बाद 20 जून 2013 को सारंगी ने उड़ीसा उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।