अब चुनावी सरगर्मी जनता के भी सिर चढ़कर बोलने लगी है। राजनीतिक दलों के नेता, कार्यकर्ता और समर्थक तो इस प्रचंड गर्मी में अपना पसीना तो बहा ही रहे हैं, वहीं आम लोगों में भी राजनीतिक दलों के कार्यक्रम, वायदों और रेवड़ियों पर चर्चा शुरू हो गई है। जब चौक-चौराहों, काफी हाउसों, टी स्टालों पर देश और प्रदेश की सियासत पर बहस मुबाहिसा शुरू हो जाए, तब समझ लेना चाहिए कि सियासत रंग लाने लगी है। इन दिनों भाजपा, कांग्रेस, इनेलो और जजपा सहित छोड़ी-बड़ी सभी पार्टियों ने हुंकार भरनी शुरू कर दी है। छह मई को नामांकन की आखिरी तारीख है, इसके बाद कौन-कौन चुनावी दंगल में उतरने वाला है, किसका पर्चा खारिज हुआ है, किसने अपना पर्चा वापस ले लिया जैसी स्थितियां साफ हो जाएंगी। हालांकि भाजपा, कांग्रेस, जजपा और इनेलो जैसी पार्टियों ने चुनावी तैयारियां बहुत पहले से शुरू कर दी थीं। भाजपा ने अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा पहले ही करके बाजी मार ली थी।
कांग्रेस ने अभी कुछ ही दिन पहले सभी नौ सीटों पर अपने उम्मीदवारों खड़े किए हैं। भाजपा नेता तो अपनी चुनावी रैलियों में पिछला रिकार्ड दोहराने यानी दस में से दसों सीटों पर अपने उम्मीदवारों की विजय का दम भर रहे हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल से लेकर ब्लाक स्तर के नेता अपनी सभाओं और रैलियों में पीएम मोदी और राम मंदिर के नाम पर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश में हैं। भाजपा उम्मीदवार ने पिछले दस साल में अपने क्षेत्र की जनता के लिए क्या किया, यह बताने की जगह पर पीएम मोदी ने पिछले दस साल में क्या किया, इसे मतदाताओं को बताने में ज्यादा रुचि ले रहे हैं।
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राष्ट्रीय स्तर पर पीएम मोदी कांग्रेस पर हमला बोलते हुए जिस भाषा और कथन का उपयोग करते हैं, प्रदेश में भी बातें भाजपा नेता दोहराने लगते हैं। भाजपा में भीतरी कलह और किसानों की नाराजगी इस बार दस में से दस जीतने के मनसूबे पर पानी फेर सकती है। कांग्रेस ने तो अपने घोषणा पत्र के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों को भी उठाना शुरू कर दिया है। वह प्रदेश सरकार को स्थानीय मुद्दों पर घेरने का प्रयास कर रही है।
पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा तो यहां तक कहने से नहीं चूकते हैं कि यह मौका लोकसभा चुनाव जीतने के साथ-साथ आगामी विधानसभा चुनाव की भावभूमि तैयार करने का है। यही वजह है कि अभी से कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों पर अपना दृष्टिकोण रखना शुरू कर दिया है, ताकि मतदाताओं को विधानसभा चुनाव के दौरान इन बातों को याद दिलाने में आसानी रहे। अभी तक जो आसार हैं, उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि कई सीटों पर इस बार मुकाबला कड़ा होने वाला है। किसको इस बार कितनी सीटें मिलेंगी, कहना बड़ा मुश्किल है।
-संजय मग्गू
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