बदायूं की एक अदालत (Budaun Mosque:)24 दिसंबर को यह तय करेगी कि जामा मस्जिद शम्सी बनाम नीलकंठ मंदिर मामले में सुनवाई जारी रखी जाए या नहीं। मुस्लिम पक्ष के अधिवक्ता अनवर आलम ने मंगलवार को अदालत में प्रार्थना पत्र पेश करते हुए उच्चतम न्यायालय के आदेश की प्रति दी। उन्होंने बताया कि 12 दिसंबर को उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि ऐसे मामलों में निचली अदालत कोई आदेश पारित न करे और न ही सर्वे पर कोई निर्णय ले। आलम ने कहा कि यदि निचली अदालत आदेश पारित नहीं कर सकती, तो इस मामले की सुनवाई का कोई औचित्य नहीं है।
वहीं, हिंदू पक्ष (Budaun Mosque:)के अधिवक्ता विवेक रेंडर ने अदालत में दलील दी कि उच्चतम न्यायालय ने कहीं भी यह नहीं कहा है कि चल रही सुनवाई रोकी जाए। उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से आदेश दिया है कि जिन मामलों में सुनवाई चल रही है, उन्हें रोका नहीं जा सकता, लेकिन निचली अदालत किसी तरह का आदेश या अंतरिम आदेश जारी नहीं कर सकती। रेंडर ने यह भी आरोप लगाया कि मुस्लिम पक्ष के वकील जानबूझकर मामले में देरी कर रहे हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) अमित कुमार ने इस मामले में 24 दिसंबर को सुनवाई की तारीख तय की है, और उसी दिन यह तय किया जाएगा कि इस मामले की कार्यवाही जारी रखी जाएगी या नहीं।शम्सी जामा मस्जिद, जो सोथा मोहल्ला नामक ऊंचे क्षेत्र पर स्थित है, बदायूं शहर की सबसे ऊंची इमारत मानी जाती है। इसे देश की तीसरी सबसे पुरानी और सातवीं सबसे बड़ी मस्जिद भी माना जाता है, जिसमें एक साथ 23,500 लोग नमाज अदा कर सकते हैं।