हमास और इजराइल युद्ध में अब ईरान भी कूद पड़ा है। इससे एशिया में युद्ध के व्यापक रूप धारण करने की आशंका पैदा हो गई है। हालांकि रूस-यूक्रेन, इजराइल और गाजा पट्टी के बीच चल रहे युद्ध से एशियाई देश पहले से ही परेशान थे, अब इस युद्ध में ईरान के कूद पड़ने से एक नया संकट पैदा हो गया है। लोगों को अब यह आशंका सताने लगी है कि यदि ईरान ने इस हमले के बाद आगे कदम बढ़ाया या इजराइल ने पलटवार किया, तो जो परिस्थितियां पैदा होंगी, वह एशियाई देशों के लिए उचित नहीं कही जा सकती हैं। वैसे तो इजराइल और ईरान के बीच युद्ध का कोई सीधा संबंध नहीं है। इसके बावजूद ईरान का ड्रोन और मिसाइल से हमला करना, चिंताजनक तो है ही। सन 1979 से पहले मित्र रहे ईरान और इजराइल के बीच कड़वाहट तब आई जब ईरान में सन 1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति हुई।
इस्लाम के नाम पर हुई क्रांति का नेतृत्व करने वाले अयातुल्लाह खुमैनी ने ईरान में क्रांति के बाद शांति स्थापित होने पर मक्का और मदीना पर अपना कब्जा जमाने की रणनीति बनाई। इसके लिए जरूरी था कि कोई उनकी बात का समर्थन करे। जब उन्हें अपनी योजना के बारे में कोई सक्रिय समर्थन मिलता नहीं दिखाई दिया, तो उन्होंने दूसरा तरीका अपनाया। उन्होंने इजराइल के खिलाफ सक्रिय आतंकी संगठनों को आर्थिक और हथियारों से मदद करनी शुरू कर दी। ईरान के नए उभरे नायक अयातुल्लाह खुमैनी चाहते थे कि वे अरब देशों के इस्लामी अगुआ मान लिए जाएं,लेकिन शिया और सुन्नी में बंटे मुस्लिम देशों ने इस मामले में कोई पहल करने की जरूरत नहीं समझी।
यह भी पढ़ें : दुनिया का सबसे बड़ा धर्म इंसानियत
नतीजतन ईरान को खुलेआम फिलिस्तीनियों का समर्थन करना पड़ा। जब पिछले साल सात अक्टूबर को हमास ने इजराइल पर हमला किया, तो इसराइल ने खुलेआम ईरान पर आतंकी संगठनों को सहायता देने का आरोप लगाया। इजराइल के विरोध के चलते अमेरिका भी ईरान के खिलाफ हो गया। इस्लामी क्रांति के बाद ईरान और अमेरिका के भी रिश्तों में दरार आ गई थी। अब जब हमास-इजराइल युद्ध नया रूप अख्तियार करता जा रहा है, ऐसी हालत में कोई भी देश नहीं चाहता है कि युद्ध की आग और भड़के। यह बात ईरान भी समझता है और इजराइल भी।
भारत, चीन, अमेरिका और रूस सहित इस नई मुसीबत को गले नहीं लगाना चाहते हैं। यदि युद्ध का दायरा बढ़ता है, तो इन देशों को भी इसमें भाग लेना पड़ेगा। यह भी संभव है कि ईरान इतना करने के बाद चुप हो जाए। लेकिन उसकी हरकतों से ऐसा लगता नहीं है। अभी दो दिन पहले ईरान ने इजराइल के जिस जलपोत को अपने कब्जे में लिया था, उसमें 17 भारतीय नागरिक भी थे। भारत को अब अपने नागरिकों को छुड़ाने की चिंता है।
-संजय मग्गू
लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/