हरियाणा के अस्पतालों में अव्यवस्था कम होने का नाम नहीं ले रही है। इन दिनों जब भीषण गर्मी और अन्य बीमारियों की वजह से मरने वालों के शव अस्पतालों में पहुंच रहे हैं, तो उन शवों को सुरक्षित रखने के लिए फ्रीजर कम पड़ रहे हैं। पूरे उत्तर भारत में इतनी गर्मी पड़ रही है कि शवों को बहुत ज्यादा देर तक बिना फ्रीजर के नहीं रखा जा सकता है। गर्मी के चलते शव बहुत जल्दी खराब होने लगते हैं। पिछले दो दिनों में फरीदाबाद के बीके अस्पताल में 37 शव आए। इन शवों को सुरक्षित रखने वाले फ्रीजर कम पड़ गए। नतीजा यह हुआ कि इनमें से कुछ शवों को बाहर रखना पड़ा। शव खराब न हो जाएं, इसके लिए बर्फ की सिल्लियां तक परिजनों को मंगानी पड़ी।
शवों का पोस्टमार्टम करने के लिए चार डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है ताकि जल्दी से जल्दी पोस्टमार्टम करके शवों को उनके परिजनों को सौंपा जा सके। दरअसल, ऐसी ही स्थिति लगभग प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों की है। कहीं दवाएं उपलब्ध नहीं हैं, तो कहीं डॉक्टर। अप्रैल में प्रकाशित पीजीआई के स्कूल आफ पब्लिक हेल्थ की रिपोर्ट में कहा गया है कि हरियाणा में डॉक्टरों की ही नहीं, मेडिकल स्टाफ की भी भारी कमी है। पिछले दस सालों में नए-नए मेडिकल कालेज, नर्सिंग स्कूल खोलने के प्रयास तो बहुत हुए, लेकिन उनका परिणाम बहुत कम ही देखने को मिला। प्रदेश के अस्पतालों में डॉक्टरों के साथ-साथ मेडिकल स्टॉफ की भारी कमी देखने को मिल रही है।
शायद ही कोई सरकारी अस्पताल हो, जहां विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या जरूरत के मुताबिक हो। प्रदेश के लगभग हर सरकारी अस्पातल नर्स, फार्मासिस्ट और पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। सरकारी अस्पताल के जितने भी विभाग हैं, सबमें चिकित्सकों की कमी है। सबसे ज्यादा कमी तो प्रदेश में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की है। प्रदेश में केवल 11.86 प्रतिशत डॉक्टर (2119 एमबीबीएस डॉक्टर्स में से 244) ही जिला सिविल अस्पतालों में क्रिटिकल सेवाओ जैसे आईसीयू लेबर, एसएनसीयू में सेवारत हैं। इतने बड़े प्रदेश में कुल 296 विशेषज्ञ डाक्टर हैं।
वैसे भी विश्व मानक के अनुसार देश के कुछ ही प्रांतों में डाक्टर उपलब्ध हैं जिनमें तमिलनाडु, दिल्ली, कर्नाटक, गोवा और पंजाब हैं। इन राज्यों में एक हजार व्यक्ति पर तीन से चार डॉक्टर उपलब्ध हैं, जबकि हरियाणा में 6037 लोगों पर एक डॉक्टर उपलब्ध है। यही वजह है कि प्रदेश में चिकित्सा व्यवस्था चरमराई हुई है। अस्पताल हैं, लेकिन डॉक्टर उपलब्ध नहीं हैं। जरूरत इस बात की है, सबसे पहले अस्पतालों में डाक्टर, नर्स, फार्मास्सिट और पैरा मेडिकल स्टाफ की भर्ती की जाए। दूसरे राज्यों से भी डॉक्टरों को यहां काम करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
-संजय मग्गू