ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर दुर्घटना में हुई मौत के बाद दो तरह की प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं। ईरान और ईरान के समर्थक देशों में उनकी मौत पर दुख व्यक्त किया जा रहा है। ईरान में उनकी मौत को लेकर गम का माहौल है, लेकिन ईरान में ही कुछ लोग खुशियां मना रहे हैं। ईरान की आबादी का एक हिस्सा उनकी मौत को लेकर विरोधी प्रतिक्रिया सोशल मीडिया पर व्यक्त कर रहा है। हालांकि ईरान में प्लेटफॉर्म एक्स और इंस्टाग्राम पर प्रतिबंध लगा हुआ है, लेकिन ईरान के ज्यादातर युवा वीपीएन यानी वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क का उपयोग करते हैं। इन युवाओं ने सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो अपलोड किए हैं जिनमें कुछ लोग रईसी की मौत पर खुशियां मनाते दिख रहे हैं। कहीं कहीं पर तो पटाखे छोड़ने की खबर है। कहा तो यह जाता है कि इब्राहिम रईसी ने अपने जीवन काल में करीब पांच हजार से ज्यादा लोगों को देशद्रोही साबित करके फांसी की सजा दिलाई थी।
सन 1988 में ईरान की खुफिया ट्रिब्यूनल्स के सदस्य बनाए गए रईसी ने चुन-चुनकर उन लोगों को मौत के घाट उतारा था जिस पर भी तनिक भी शक था। खुफिया ट्रिब्यूनल्स को डेथ कमेटी के नाम से भी पुकारा जाता है। जिन पांच हजार लोगों को सामूहिक फांसी दी गई थी, उनमें ज्यादातर राजनीतिक बंदी थे, कुछ उग्रवादी विचारधारा के लोग थे और कुछ अन्य मामलों के दोषी ठहराए गए लोग थे। इब्राहिम रईसी अपने कट्टरपंथी विचारधारा के लिए मशहूर थे। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सितंबर 2022 को ईरान चर्चा में आया जब हिजाब के खिलाफ आवाज उठाने वाली महसा अमीनी की मौत का मुद्दा उछाला गया। दो साल पहले पूरे ईरान में एक बहुत बड़ी संख्या में महिलाएं हिजाब न पहनने की स्वतंत्रता की मांग को लेकर बगावत पर उतर आई थीं। 22 वर्षीय महसा अमीनी ने बिना हिजाब पहने प्रदर्शन किया, तो इस्लामिक कट्टरपंथी रईसी सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
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ईरानी सरकार ने अमीनी की मौत पर कहा था कि महसा अमीनी को दिल का दौरा पड़ा था, अस्पताल ले जाते समय उसकी मौत हो गई। ईरानी जनता का आरोप था कि इस्लामिक ड्रेस कोड के खिलाफ बगावत करने वाली अमीनी की मौत पुलिस हिरासत में बुरी तरह टार्चर करने से हुई थी। इसके बाद पूरे ईरान में महिलाएं और पुरुष ड्रेस कोड के खिलाफ सड़कों पर उतर आए थे। लगभग डेढ़-दो महीने तक चले आंदोलन में पांच सौ से अधिक लोगों को रईसी सरकार ने फांसी पर चढ़ा दिया और बाइस हजार से अधिक लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया।
इनमें से कितने लोगों को छोड़ा गया, कितने आज भी कैद में हैं, इनमें से कितने जिंदा हैं, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है। ईरान के राष्ट्रपति की मौत के बाद उन लोगों का खुश होना स्वाभाविक है जिनके परिजन उनके अत्याचार का शिकार हुए थे। इसके बावजूद अधिसंख्य ईरानियों के वह लोकप्रिय नेता थे। वह एक देश के चुने हुए राष्ट्रपति थे, भले ही उन्होंने अपने प्रभाव का उपयोग कर विरोधियों को चुनाव लड़ने से रोक दिया हो।
-संजय मग्गू
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