Monday, January 13, 2025
13.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiलोकप्रियता के लिए किसी फिल्म के मोहताज नहीं थे महात्मा गांधी

लोकप्रियता के लिए किसी फिल्म के मोहताज नहीं थे महात्मा गांधी

Google News
Google News

- Advertisement -

मोहन दास करमचंद गांधी यानी महात्मा गांधी और उनके गांधीवादी दर्शन से कोई भी असहमत हो सकता है। वैसे भी दर्शन के क्षेत्र में गांधीवादी दर्शन को बहुत अधिक महत्व नहीं मिला। लेकिन महात्मा गांधी की लोकप्रियता और उनके सत्य और अहिंसा के प्रयोग की पूरी दुनिया तब भी दीवानी थी, जब वे जीवित थे और आज भी है, जब वे जीवित नहीं हैं। यह गांधी की लोकप्रियता और अदम्य साहस था जो लगभग पूरी दुनिया में राज करने वाले जार्ज पंचम के सामने एक मामूली चप्पल और आधी धोती पहने, आधी धोती ओढ़कर सीना तानकर खड़ा रहा और जार्ज पंचम को गांधी का उसी रूप में स्वागत करना पड़ा। जिस मार्टिन लूथर किंग और मार्टिन लूथर किंग जूनियर पर पूरे अमेरिकी समाज को गर्व है, वह भारत के अधनंगे फकीर महात्मा गांधी के विचारों से अपने को प्रभावित बताकर गर्व महसूस करता था।

दक्षिण अफ्रीका में 1899 से लेकर 1902 के बीच चले बोअर युद्ध के दौरान मोहन दास करम चंद गांधी द्वारा किए गए कार्यों और नीतियों की बदौलत ही शांति स्थापित हो पाई थी। दक्षिण अफ्रीका की आम जनता की आंखों के तारे बन चुके बैरिस्टर मोहन दास करम चंद गांधी से तब हिंदुस्तान भले ही अनजान रहा हो, लेकिन लंदन, अमेरिका और संपूर्ण अफ्रीका महाद्वीप में वे नायक की तरह दिल में बसाए जा चुके थे। महात्मा गांधी अपने जीवन काल में ही एक विश्वव्यापी ब्रांड बन चुके थे। आज भी दुनिया में सबसे बड़े ब्रांड गांधी ही हैं। दुनिया का शायद ही कोई ऐसा देश हो जहां महात्मा गांधी के बारे में न पढ़ाया जाता हो और वहां एकाध प्रतिमा न हो। मार्टिन लूथर किंग, नेल्सन मंडेला जैसे सदी के नायक जिसको अपना आदर्श मानते रहे हों, वह किसी फिल्म बनने के बाद ख्याति प्राप्त करने का मोहताज तो नहीं हो सकता है।

यह भी पढ़ें : घटता मतदान लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए चिंताजनक

रिचर्ड एटनबरो की ‘गांधी’ की वजह से महात्मा गांधी के कृतित्व और व्यक्तित्व को दुनिया ने जाना या फिर गांधी पर फिल्म बनाकर रिचर्ड एटनबरो ने अपने को अमर कर लिया। यह गांधी का ही व्यक्तित्व और कृतित्व था जिसका फिल्मांकन करके रिचर्ड एटनबरो ने नाम और दाम कमाया। जिस अधनंगे फकीर ने गुलाम भारत में आजादी की चेतना जगाने के लिए सूट-बूट और टाई उतारकर आधी धोती पहनने का संकल्प लिया हो, उसकी महानता को कोई छू भी नहीं सकता है। गांधीवादी दर्शन के सबसे बड़े विरोधी सरदार भगत सिंह ने भी गांधी के औचित्य पर अंगुली कभी नहीं उठाई।

उन्होंने ‘गांधीवाद एक सुनहरी कल्पना है’ कहकर गांधीवादी दर्शन को नकारा, लेकिन उन्होंने महात्मा गांधी पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की। गांधी के अहिंसात्मक हथियार को दुनिया के कई देशों ने बाद में अपनाया। महात्मा गांधी के निधन पर पूरी दुनिया में शोक मनाया गया। यह गांधी की ही लोकप्रियता और स्वीकार्यता थी। दुनिया भर में गांधी की हत्या के बाद शोकसभाएं की गईं, मंदिर, मस्जिद और चर्च-गुरुद्वारों में प्रार्थना सभाएं आयोजित की गई। महात्मा गांधी न प्रसिद्धि पाने के लिए न तब किसी फिल्म के मोहताज थे और न अब, जब उनको मरे 74-75 साल हो गए हैं, किसी परिचय के मोहताज हैं। भारत आज भी नेहरू-गांधी के देश के रूप में जाना जाता है।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

Delhi elections:केजरीवाल ने भाजपा पर दिल्ली के जाटों को आरक्षण के मुद्दे पर धोखा देने का आरोप लगाया

आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद (Delhi elections:)केजरीवाल ने सोमवार को भारतीय जनता पार्टी पर दिल्ली के जाट समुदाय को आरक्षण के...

mahakumbh 2025:विदेशियों ने महाकुंभ की भव्यता को सराहा

प्रयागराज के (mahakumbh 2025:)संगम पर सोमवार को पौष पूर्णिमा के साथ महाकुंभ 2025 का शुभारंभ हुआ। यह आयोजन आस्था, संस्कृति और मानवता का जीवंत...

congress election:जयराम रमेश की याचिका पर सुनवाई बुधवार को

उच्चतम न्यायालय बुधवार को कांग्रेस महासचिव (congress election:)जयराम रमेश द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करेगा। इस याचिका में चुनाव संचालन नियम में किए...

Recent Comments