हरियाणा के लिए सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। बेरोजगारी इतनी कि वह राष्ट्रीय औसत से कहीं ज्यादा है। प्रदेश सरकार इस बात से इत्तफाक नहीं रखती है। पिछले साल सेंटर फॉर मॉनिटरिंग ऑफ इंडियन इकॉनमी यानी सीएमआईई ने दावा किया था कि हरियाणा में देश की सबसे अधिक बेरोजगारी दर है। सीएमआईई की ओर जारी 2023 की रिपोर्ट में हरियाणा में बेरोजगारी दर 26.8 फीसदी दर्ज की गई है। इसके बाद बेरोजगारी दर में दूसरे पायदान पर राजस्थान है। रिपोर्ट के अनुसार राजस्थान में बेरोजगारी दर 26.4 फीसदी दर्ज की गई है।
देश में सबसे कम बेरोजगारी दर उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ में 0.8-0.8 फीसदी दर्ज की गई है। लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इस दावे को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पीएलएफएस की रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में 2017-18 में बेरोजगारी दर 8.6 फीसदी, 2018-19 में 9.2 फीसदी, 2019-20 में 6.5 फीसदी और 2020-21 में 6.3 फीसदी थी। दोनों रिपोर्ट में से किसको सही माना जाए, इसको लेकर विश्लेषक दुविधा में हैं। इधर एक नई बात यह सामने आई है कि प्रदेश के 14 जिलों की 25 सरकारी आईटीआई में 37 ट्रेड इस साल से बंद कर दिए गए हैं। यह एक चौंकाने वाली बात है। जब केंद्र और राज्य सरकारें बराबर इस बात का प्रयास कर रही हों कि अधिक से अधिक युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण देकर उनके कौशल में विकास किया जाए, ऐसी स्थिति में इन 37 ट्रेड में युवाओं का प्रवेश न लेना चिंतित करता है।
सबसे बड़ी बात यह है कि जिस यमुनानगर जिले में प्लाईवुड इंडस्ट्री बड़े पैमाने पर संचालित होती है, जिस जिले की पहचान ही प्लाईवुड इंडस्ट्री है, उसी जिले के युवाओं ने प्लाईवुड मैन्युफैक्चरिंग की पढ़ाई करना छोड़ दिया है। स्टेनोग्राफर, टर्नर, स्विंग टेक्नोलॉजी, कॉस्मेटोलॉजी जैसे तमाम ट्रेड में युवाओं ने एडमिशन लेना बंद कर दिया है जिसकी वजह से इन ट्रेड की पढ़ाई को बंद करना पड़ रहा है। सरकारी आईटीआई में नियम यह है कि जिस साल किसी ट्रेड में कोई एडमिशन नहीं लेता है, तो उस साल उस ट्रेड की पढ़ाई सस्पेंड कर दी जाती है।
अगले साल भी ऐसा होने पर उस ट्रेड की पढ़ाई हमेशा के लिए बंद कर दी जाती है। वैसे इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि जब आईटीआई संस्थान शुरू किए गए थे, तब उनमें कुछ ट्रेड ऐसे थे, जो आज नहीं हैं। समय के अनुरूप नए-नए ट्रेड आते रहते हैं और पुराने ट्रेड में पढ़ाई बंद हो जाती है। सरकार को चाहिए कि वह आज की जरूरतों के हिसाब से नए ट्रेड की शुरुआत करे। अब नौकरियों की प्रवृत्ति में काफी विविधता आ गई है। यदि जरूरत के अनुसार नए-नए ट्रेड की पढ़ाई होगी, तो युवाओं की एडमिशन लेने में रुचि होगी और उन्हें नौकरी भी मिलेगी।
-संजय मग्गू
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