Friday, November 8, 2024
31.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiमेनका गांधी के लिए आसान नहीं है सुल्तानपुर की डगर

मेनका गांधी के लिए आसान नहीं है सुल्तानपुर की डगर

Google News
Google News

- Advertisement -

पिछले साल 23 सितंबर को सुल्तानपुर में जमीन विवाद को लेकर हुई डॉ. घनश्याम तिवारी की हत्या का खामियाजा भाजपा उम्मीदवार मेनका गांधी को तो नहीं भुगतना पड़ेगा? यह सवाल इन दिनों सुल्तानपुर के राजनीतिक गलियारों में किया जा रहा है। वैसे सुल्तानपुर की परंपरा रही है कि यहां आमतौर पर किसी भी सांसद को दोबारा रिपीट नहीं किया जाता है, लेकिन मेनका गांधी भी कोई मामूली उम्मीदवार तो हैं नहीं। पहली बात तो वह भाजपा उम्मीदवार हैं, वहीं दूसरी बात यह है कि वह गांधी परिवार से जुड़ी हुई हैं। भले ही वह अपना नाता गांधी परिवार से नहीं जोड़ती हों, लेकिन इस बात से वह इनकार भी नहीं कर सकती हैं कि वे स्व. इंदिरा गांधी की बहू हैं। हां, जब जमीन विवाद को लेकर डॉ. घनश्याम तिवारी की निर्मम हत्या हुई हुई थी, तब भाजपा, सपा, कांग्रेस, शिवसेना जैसे दलों के ब्राह्मण नेता दलगत दूरी को पाटकर सड़कों पर उतर आए थे और उन्होंने योगी सरकार पर ठाकुरों को प्रश्रय देने का आरोप लगाया था क्योंकि डॉ. तिवारी की हत्या के मुख्य आरोपी अजय नारायण सिंह थे।

पहले गिरफ्तारी में हीलाहवाली और तत्काल मिली जमानत से ब्राह्मणों में उपजा रोष अभी तक शांत नहीं हुआ है। ब्राह्मण फैक्टर मेनका गांधी के रास्ते का बहुत बड़ा बाधक है। वैसे सुल्तानपुर में गैर यादव जातियां जैसे निषाद और कुर्मी मतदाता भाजपा के साथ रही हैं। ब्राह्मण मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा भाजपा के साथ रहा है। लेकिन सपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री राम भुआल निषाद को मैदान में उतारने से निषादों का वोट बंटने का खतरा पैदा हो गया है क्योंकि बसपा ने भी उदराज वर्मा को उतारकर भाजपा के कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगाने का पक्का फैसला कर लिया है। वैसे यह भी सही है कि भाजपा सांसद मेनका गांधी ने पिछले पांच साल में अपने मतदाताओं को निराश नहीं किया है। वे अपने क्षेत्र में तेज तर्रार सांसद मानी जाती हैं। वे अपने क्षेत्र की जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रही हैं।

यह भी पढ़ें : कबीरदास ने सिखाया सरलता का पाठ

स्पष्ट वक्ता भी हैं, जो काम उनसे हो सकता है, उसे करने से मना कभी नहीं किया, लेकिन जो नहीं हो सकता है, उस मामले में तुरंत इनकार कर दिया। लेकिन जिस तरह इंडिया गठबंधन की बयार इन दिनों बह रही है, उसको देखते हुए मेनका गांधी को तगड़ी चुनौती मिल रही है। सपा उम्मीदवार राम भुआल निषाद भी कमजोर प्रत्याशी नहीं हैं। वे गोरखपुर की कौड़ीराम विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रह चुके हैं। सुल्तानपुर में जातिगत समीकरणों के आधार पर भी वे कमजोर नहीं दिखाई देते हैं।

बसपा के उदराम वर्मा फिलहाल सपा को नुकसान पहुंचाने के बजाय भाजपा को नुकसान पहुंचाते नजर आ रहे हैं। वैसे पूर्वांचल में इस बार बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे बड़ी शिद्दत से उठाए जा रहे हैं। जहां तक बाहरी कैंडिडेट के ठप्पे की बात है, तो दोनों मेनका गांधी और राम भुआल निषाद दोनों बाहरी बताए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर जितनी बहस होगी, भाजपा को उतना ही नुकसान होने की आशंका है। वैसे अब इस बहस का भी कोई मतलब नहीं रह गया है क्योंकि 25 मई को यहां मतदान है।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

लेटेस्ट खबरों के लिए क्लिक करें : https://deshrojana.com/

- Advertisement -
RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

पूरे प्रदेश की जनता की सेहत से खिलवाड़ कर रहे कुछ किसान

संजय मग्गूप्रदूषण सबके लिए हानिकारक है, यह बात लगभग हर वह आदमी जानता है, जो बालिग हो चुका है। अब तो नाबालिग बच्चे भी...

Trump-Biden: तो जनवरी में अमेरिका के राष्ट्रपति बनेंगे ट्रंप…वाइडन ने किया ये वादा

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जनवरी में सत्ता का शांतिपूर्ण और व्यवस्थित हस्तांतरण करने का भरोसा दिलाया है।...

ICC Rating: चेन्नई की पिच ‘बहुत अच्छा’, कानपुर की आउटफील्ड ‘असंतोषजनक’

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने भारत और बांग्लादेश के बीच चेन्नई के एमए चिदंबरम स्टेडियम में खेले गए टेस्ट मैच की पिच को 'बहुत...

Recent Comments