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अगर स्वस्थ रहना है, तो हर हालत में प्रदूषण मुक्त रखना होगा पर्यावरण

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मानसूनी मौसम में भी अगर किसी शहर का वायु गुणवत्ता सूचकांक सौ-सवा सौ के आसपास रहे, तो इस बात की कल्पना की जा सकती है कि सर्दी या गर्मी के मौसम में कितना प्रदूषित रहा होगा वह शहर। फरीदाबाद जैसे शहर में पिछले दस दिनों में से सिर्फ तीन दिन ही वायु गुणवत्ता सूचकांक सौ से कम रहा। इन दिनों जब पूरे उत्तर भारत में लगातार बारिश हो रही है, हवा में घुली धूल, कार्बन और अन्य पदार्थ पानी के संपर्क में आकर जमीन पर आ जाते हैं। सारा प्रदूषण मिट्टी के साथ मिलकर नालों, नहरों के माध्यम से होता हुआ समुद्र में जा मिलता है। लेकिन बरसात के दिनों में भी जब हरियाणा के ज्यादातर शहरों का  एक्यूआई सामान्य से दो या तीन गुना हो, तो हालात की गंभीरता बढ़ जाती है।

वैसे भी सामान्य दिनों में हरियाणा और दिल्ली की वायु गुणवत्ता सूचकांक गंभीर श्रेणी में रहती है। सेंटर ऑफ रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (सीईआरए) ने इस साल जनवरी से जून तक एक सर्वे किया है। उस सर्वे की रिपोर्ट बताती है कि फरीदाबाद देश के सबसे प्रदूषित शहरों में नंबर दो पर है। पहले नंबर पर मेघालय का बर्नी हॉट शहर है। देश की राजधानी दिल्ली तीसरे नंबर पर है। चौथे नंबर पर प्रदेश का शहर गुरुग्राम और पांचवें नंबर पर बल्लभगढ़ है। इन आंकड़ों से यह समझा जा सकता है कि प्रदूषण के मामले में हमारा प्रदेश कैसा है। जिन दिनों प्रदूषण की समस्या गहरा जाती है, उन दिनों किए जाने वाले सर्वे में फरीदाबाद देश ही नहीं, दुनिया के प्रदूषित शहरों की गिनती में जरूर आता है।

पिछले साल आईयू एयर नाम की संस्था ने जनवरी में वर्ष 2023 की रिपोर्ट जारी की थी जिसमें बताया गया था कि फरीदाबाद दुनिया का पच्चीसवां सबसे प्रदूषित शहर था। यह सही है कि पिछले कुछ सालों में प्रदेश के शहरों खासकर फरीदाबाद की स्थिति में थोड़ा सुधार हुआ है, लेकिन इसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता है। इस मामले में सरकार को तो गंभीर होना ही होगा, प्रदेशवासियों को भी जागरूक होना होगा। तभी हम सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा पा सकेंगे, अन्यथा इसके परिणाम भयंकर हो सकते हैं।

सबसे पहले तो पराली जलाने पर नियंत्रण करना होगा। इसके अलावा पुरानी गाड़ियों का चलन भी बंद करना होगा। इन गाड़ियों की प्रदूषण जांच भी समय-समय पर करनी होगी। प्रदेश में निकलने वाले कूड़े-कचरे का निस्तारण इस तरह करना होगा, जिससे प्रदूषण न फैले। आए दिन देखने को मिलता है कि लोग और कूड़े-कचरे का निस्तारण करने वाले कर्मी इसे जला देते हैं जिससे भारी मात्रा में प्रदूषण फैलता है। पर्यावरण से संबंधित नियमों को सख्ती से लागू करने की जरूरत है। यदि ऐसा नहीं किया तो यह प्रदूषण सबके लिए जानलेवा साबित हो सकता है। अगर स्वस्थ रहना है, तो हर हालत में पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त रखना होगा।

-संजय मग्गू

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