चार जून को जब लोकसभा के चुनाव परिणाम घोषित हो रहे थे, उसी दरमियान बिहार की कुछ प्रमुख जगहों पर होर्डिंग्स लगाए गए हैं। इस पोस्टर के दायीं तरफ जनता दल यूनाइटेड सुप्रीमो और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हंसती हुई तस्वीर लगी है और बायीं तरफ जनता दल यूनाइटेड लिखा है और तीर का निशान बना है। होर्डिंग के बीचोबीच में लिखा है-नीतीश कुमार सबके हैं। राजनीतिक गलियारों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। जिस तरह नीतीश कुमार एडीए सरकार गठन से पहले अपनी मांग रख रहे हैं, उससे यह आभास हो रहा है कि वे बिहार को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाने के साथ-साथ कुछ विशेष मंत्रालय अपने पास रखने को बेताब हैं।
भाजपा इस बात को पूरी तरह साफ कर चुकी है कि वह अपने सहयोगियों की नाजाजय मांग के आगे झुकेगी नहीं। वह अपने सहयोगियों का ध्यान रखेगी। इसका मतलब यही है कि भाजपा प्रमुख मंत्रालय अपने सहयोगियों को देने नहीं जा रही है। गृह मंत्रालय तो भाजपा किसी को देने से रही। वित्त और रेल मंत्रालय भी अपने पास ही रखना चाहेगी। इसके अलावा भी कुछ महत्वपूर्ण विभाग है, अगर देना भी पड़ा तो गठबंधन की सरकार चलाने की मजबूरी के चलते ही भाजपा अपने सहयोगियों को दे सकती है। दरअसल, किंग मेकर की भूमिका में आने के बाद आंध्र प्रदेश की राजनीति में सबसे मजबूत बनकर उभरे चंद्रबाबू नायडू और जदयू सुप्रीमो नीतीश कुमार अपनी मांगों को लेकर किसी भी हद तक जा सकते हैं।
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नीतीश कुमार जो पहले सुशासन बाबू के नाम से मशहूर थे, वे पलटूराम के नाम से भी पिछले कुछ सालों से जाने जा रहे हैं। यदि मांग पूरी नहीं हुई, तो वे एनडीए से पलटी मार कर कब इंडिया गठबंधन में पहुंच जाएंगे, इसके बारे में कहा नहीं जा सकता है। इसका प्रदर्शन पांच-छह महीने पहले नीतीश कुमार कर चुके हैं। जिस इंडिया गठबंधन ने भाजपा की राहें मुश्किल कर दी हैं इस बार के लोकसभा चुनाव में, उसको एक रूप देने की पहल नीतीश कुमार ने ही की थी। उनकी इच्छा थी कि इंडिया गठबंधन के संयोजक की भूमिका और पीएम मैटीरियल के तौर पर उन्हें जाना जाए जिसके लिए गठबंधन की कई पार्टियां सहमत नहीं थीं।
बस इतनी सी बात के लिए नीतीश कुमार ने सारी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए एनडीए का दामन थाम लिया था। जबकि इससे पहले जब वे एनडीए से बाहर हुए थे तो उन्होंने कसम खाई थी कि वे मर जाएंगे, लेकिन एनडीए में नहीं जाएंगे। जब कसम खाने के बाद वे एनडीए में वापस जा सकते हैं, तो ऐसी हालत में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन की यह आशा कि नीतीश कुमार एक बार फिर पलटी मारेंगे, निराधार नहीं है।
उनके स्वभाव को देखते हुए ही इंडिया गठबंधन ने कहा है कि सबके लिए इंडिया गठबंधन के दरवाजे खुले हैं। राष्ट्रीय जनता दल के कर्ताधर्ता तेजस्वी यादव को आज भी विश्वास है कि उनके नीतीश चाचा लौटकर जरूर आएंगे। यही वजह है कि लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान न तो तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार की शान के खिलाफ कुछ कहा और न ही नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव के खिलाफ बयान दिया। ऐसी स्थिति में बस नीतीश कुमार के पलटने का इंतजार किया जा कता है।
-संजय मग्गू
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