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Ram Mandir Pran Pratishtha: राम मंदिर के लिए क्यों चुनी गई नागर शैली, क्या है विशेष?

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आज अयोध्या में पुरे विधि-विधान के साथ श्रीराम की प्राण प्रतिष्ठा संपन्न हो चुकी है। लेकिन क्या आप
जानते है कि राम मंदिर किस शैली में बनाया गया है? दरअसल, रामलला के मंदिर के लिए नागर शैली का प्रयोग किया गया है। प्राचीन भारत में मंदिर निर्माण की खास 3 शैलियों में से एक नागर स्थापत्य है जिसके अनुसार मंदिर काफी खुला हुआ होता है जबकि मुख्य भवन चबूतरे पर बना होता है।

आज पूरे देश में जश्न का माहौल है जिस घडी का सबको इंतज़ार था। देशभर में जिसे लेकर तैयारियां चल रही थी वह सब आज राम लला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरी कर ली गई है। राम मंदिर बेहद भव्य रूप में बनाया गया है। चाहे इसमें मकराना का संगमरमर हो , या फिर नक्काशी के लिए इस्तेमाल खास कर्नाटकी बलुआ. लेकिन इन सारी चीजों के बीच जानने की बात ये है कि मंदिर नागर स्थापत्य की स्टाइल में बना है। राम के लिए नागर शैली को लिया गया क्योंकि उत्तर भारत और नदियों से सटे हुए इलाकों में यही शैली प्रचलित है। इस वास्तुकला की अपनी खासियतें बताई जाती है।

नागर शैली की खासियत-

1 – मंदिरों ने आम तौर पर निर्माण की पंचायतन शैली का पालन किया जाता है लेकिन राम मंदिर में नागर शैली का इस्तेमाल किया गया है।

2 – नागर शैली में शिखर अपनी ऊँचाई के क्रम में ऊपर की ओर क्रमश: पतला होता जाता है।
और मंदिर में सभा भवन और प्रदक्षिणा-पथ भी होता था।

3 – शिखर के नियोजन में बाहरी रूपरेखा बड़ी स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से उभरती है। अत: इसे रेखा शिखर भी कहते हैं।

4 – इसके अलावा मंदिर के शिखर पर आमलक की स्थापना होती है।

5 – गर्भगृह के बाहर, गंगा और यमुना नदी की देवी की छवियों की उपस्थिति होती है।

मंदिर के अंदर, दीवार को तीन ऊर्ध्वाधर विमानों में विभाजित किया गया था जिन्हें रथ कहा जाता है। इन्हें त्रिरथ मंदिर के नाम से जाना जाता था। बाद में, पंचरथ, सप्तरथ और यहाँ तक कि नवरथ मंदिर भी अस्तित्व में आए है।

गर्भगृह होता है सबसे पवित्र स्थान

राम लला की प्राण प्रतिष्ठा गर्भगृह में ही हो रही है। इसे सबसे पवित्र स्थान माना जाता है। इसी के ऊपर शिखर होता है। दोनों ही जगहें काफी पवित्र और मुख्य मानी जाती है। शिखर के ऊपर आमलक भी होता है। आमलक मंदिर की वास्तु में एक खास आकृति होती है जो शिखर पर फल के आकार की होती है।

गर्भगृह के चारों तरफ प्रदक्षिणा पथ होता है। साथ में कई और मंडप होते हैं, जिनपर देवी-देवताओं या उनके वाहनों, फूलों की नक्काशी बनी होती है नागर वास्तु काफी विस्तृत शैली होती है और इसके तहत पांच तरीकों से मंदिर बनाया जा सकता है।


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