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भारत को लेकर यूरोप में छिड़ी बहस

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पिछले साल जून 2022 में स्लोवाकिया में एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि यूरोप को इस मानसिकता से निकलना चाहिए कि यूरोप की समस्याएं पूरी दुनिया की समस्याएं हैं, लेकिन दुनिया की समस्याएं यूरोप की समस्या नहीं है। इस बयान को लेकर आज भी यूरोपीय देशों में एक बहस छिड़ी हुई है। अपने इस बयान में विदेश मंत्री एस जयशंकर यह कहने का प्रयास कर रहे थे कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में सिद्धांतों को समानता के आधार पर लागू नहीं किया जाता है। ठीक इसी बात को जर्मनी के चांसलर ओलाफ शाल्त्स ने ग्लोबल सॉल्यूसंश के ‘द वर्ल्ड पॉलिसी फोरम’ कार्यक्रम में दोहराया है। उन्होंने कहा कि भारत, दक्षिणी अफ्रीका, वियतनाम जैसे देश रूस और यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की आलोचना करने से झिझकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था में सिद्धांतों को बराबरी के साथ लागू नहीं किया जाता है। 

उनका ऐसा मानना किसी भी तरह से गलत नहीं है। जर्मन चांसलर ने तो यहां तक कहा कि यूरोप के साम्राज्यवादी देशों को अपने अतीत के लिए भारत सहित अन्य देशों से अतीत के लिए माफी मांगनी चाहिए। दरअसल, जब से रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ा है, तब से भारत पर बराबर दबाव डाला जा रहा है कि वह रूस की इस मामले में निंदा करे। उस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध में यूरोपीय देशों की मदद करे और रूस से गैस और तेल खरीदना बंद कर दे। भारत ने ऐसा नहीं किया। उसने न केवल रूस की आलोचना करने से साफ तौर पर इंकार कर दिया, बल्कि रूस के उस प्रस्ताव को लपक लिया जिसमें रूस ने भारत को सस्ता कच्चा तेल देने की बात कही थी। आज भारत रूस से सबसे ज्यादा मात्रा में कच्चा तेल खरीदने वाला सबसे पहला देश है। रूस से खरीदे गए तेल को देश की निजी कंपनियां रिफाइंड करके यूरोपीय देशों को बेच रही हैं। रूसी तेल को रिफाइंड करके बेचने के मामले में पिछले महीने भारत ने तो सऊदी अरब को भी पीछे छोड़ दिया है।  इससे भारत को काफी मुनाफा भी हो रहा है। अब यह बात यूरोपीय देशों को हजम नहीं हो रही है कि तमाम आर्थिक प्रतिबंधों के बावजूद रूस की अर्थव्यवस्था पर कोई फर्क पड़ता नहीं दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं, भारतीय अर्थव्यवस्था रूसी तेल की बदौलत मजबूत होती जा रही है। यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख जोसेप बोरेल ने कहा है कि रूस के कच्चे तेल से बनने वाले भारत के रिफाइंड उत्पादों पर प्रतिबंध लगना चाहिए। उनके इस बयान पर विदेश मंत्री जयशंकर ने पलटवार करते हुए कहा है कि जब रूस का कच्चा तेल कई तरह की प्रक्रियाओं से गुजरकर यूरोप के बाजार में पहुंचता है, तो वह रूसी माल नहीं रह जाता है। पूरी तरह भारतीय हो जाता है। यूरोपीय देशों में छिड़ी बहस से भारत पर कोई विशेष फर्क पड़ने वाला नहीं है। यदि भारत इन दिनों यूरोपीय देशों को रिफाइंड तेल भेजना बंद कर दे, तो यूरोप में तेल का भयंकर संकट खड़ा हो जाएगा।

संजय मग्गू

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