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सात साल में UP की कार्य संस्कृति में आए बदलाव ने रचे कई कीर्तिमान

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लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार के सात साल (Seven Years) पूरे हो रहे हैं। दशकों तक ‘बीमारू’ राज्य की छवि रखने वाला प्रदेश आज देश में सबसे तेज गति से विकास करने वाला राज्य बन चुका है। विकसित भारत के जिस संकल्प को पूरा करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने रोडमैप तैयार किया है, उसे अमली जामा पहनाने में उत्तर प्रदेश की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है। बीते सात साल (Seven Years) में यूपी (UP) की कार्य संस्कृति में व्यापक बदलाव देखने को मिले हैं, न केवल कानून-व्यवस्था में, बल्कि इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोड, रेल, वायु और जल परिवहन, महिला सशक्तिकरण, रोजगार सृजन, व्यापक निवेश और जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने को लेकर जिस गति के साथ उत्तर प्रदेश दौड़ रहा है, वह दिन दूर नहीं जब यह देश की नंबर एक की अर्थव्यवस्था वाला प्रदेश बनने की दिशा में अग्रसर है। यही नहीं उत्तर प्रदेश (UP) आज आत्मनिर्भर राज्य की ओर से भी तेजी से आगे बढ़ रहा है।

निवेश ने दुनिया को चौंकाया

बीते सात साल (Seven Years) में यूपी (UP) की प्रभावशाली विकास यात्रा पर हाल ही में ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी 4.0 (जीबीसी) के जरिए देशभर के उद्यमियों ने 10 लाख करोड़ से अधिक का निवेश करके अपनी मुहर लगा दी है। अगर अबतक हुए सभी चार जीबीसी की बात करें तो ये आंकड़ा तकरीबन 16 लाख करोड़ रुपए पहुंचता है। इतने भारी-भरकम निवेश से न केवल यूपी (UP) की आर्थिक समृद्धि को बल मिला है, बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार का सृजन भी हुआ है। अकेले जीबीसी 4.0 से 34 लाख से अधिक रोजगार के अवसरों का सृजन हो रहा है।

‘उद्योग प्रदेश’ बना उत्तर प्रदेश

सात-आठ साल पहले कोई यकीन भी नहीं कर सकता था कि यूपी (UP) एक दिन ‘बीमारू प्रदेश’ की तोहमत से बाहर आकर ‘उद्योग प्रदेश’ बनने के करीब पहुंच जाएगा। 10 लाख से अधिक आबादी वाले सात शहर और 5 लाख से अधिक आबादी वाले पांच शहरों वाला बड़ा राज्य यूपी (UP) की 56 प्रतिशत आबादी कामकाजी है। प्रदेश न केवल 250 मिलियन की आबादी वाला राज्य है बल्कि 425 मिलियन के आस पड़ोस के राज्यों की जनसंख्या के साथ विशाल कंज्यूमर बेस भी रखता है। यही कारण है कि इतना विशाल उपभोक्त बाजार निवेशकों को हर तरह से आकर्षित कर रहा है।

एक्सप्रेसवे प्रदेश बना यूपी

उत्तर प्रदेश की विकास यात्रा में एक्सप्रेसवे की चर्चा के बिना अधूरी है। जिस राज्य के बारे में 2017 से पहले ये कहा जाता था कि जहां से गडढों वाली सड़क शुरू हो, समझ लीजिए यूपी शुरू हो चुका है, आज ये वहीं प्रदेश है जहां देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे संचालित हैं। प्रदेश में आज 6 एक्सप्रेसवे क्रियाशील हैं, जबकि 7 निर्माण के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें भी तकरीबन 600 किलोमीटर लंबा गंगा एक्सप्रेसवे इस साल के अंत तक बनकर तैयार होने जा रहा है।

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सर्वाधिक एयरपोर्ट वाला प्रदेश

उत्तर प्रदेश शीघ्र ही देश का पहला ऐसा राज्य होगा, जहां एक-दो नहीं बल्कि पांच-पांच अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट संचालित होंगे। प्रदेश में अबतक 15 एयरपोर्ट पूरी तरह से क्रियाशील हैं, इनमें आगरा, त्रिशूल (बरेली) गोरखपुर, हिंडन (गाजियाबाद), प्रयागराज, कानपुर, अलीगढ़, आजमगढ़, मुरादाबाद, श्रावस्ती और चित्रकूट में डोमेस्टिक, जबकि लखनऊ, वाराणसी, कुशीनगर और अयोध्या में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट संचालित हो रहे हैं। वहीं एशिया का सबसे बड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट नोएडा के जेवर में बनकर तैयार हो चुका है, जिसे जल्द क्रियाशील करने की तैयारी है। इसके अलावा सहारनपुर, सोनभद्र, ललितपुर, मेरठ और पलिया में भी डोमेस्टिक एयरपोर्ट निर्माण का कार्य विभिन्न चरणों में जारी है।

वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी की ओर ऊंची छलांग

प्रदेश को 2027 तक वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी वाला राज्य बनाने का संकल्प धरातल पर तेजी से उतरता दिख रहा है। आस्था, अन्त्योदय और अर्थव्यवस्था को समर्पित शासन की नीतियों का ही परिणाम है कि साल दर साल विकास की रफ्तार के अनुरूप ही यूपी(UP) के बजट का आकार बढ़ता ही जा रहा है। आंकड़ों की बात करें तो 2016-17 में प्रदेश का बजट जहां 3.46 लाख करोड़ रुपए का था वहीं 2024-25 का बजट इसके दोगुने से भी अधिक 7.36 लाख करोड़ रुपए का हो चुका है। मुख्यमंत्री के शब्दों में 2024-25 का बजट उत्तर प्रदेश को देश का ग्रोथ इंजन तथा 1 ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने की प्रधानमंत्री की संकल्पना का प्रतिनिधत्व करता है।

जीएसडीपी ग्रोथ : कोरोना में भी नहीं थमे कदम, रचा कीर्तिमान

बात यूपी (UP) के सकल घरेलू राज्य उत्पाद (जीएसडीपी) की करें तो 2016-17 में प्रदेश की जीएसडीपी 12.75 लाख करोड़ रुपए थी, इसकी तुलना में 2024-25 की जीएसडीपी 25 लाख करोड़ रुपए हो चुकी है। इसी के साथ यूपी देश की नंबर दो की अर्थव्यवस्था बन चुका है। 2019-20 में आई वैश्विक महामारी कोविड के बाद प्रदेश निरंतर 14 प्रतिशत की आर्थिक विकास दर से प्रगति कर रहा है। इसमें भी सरकार का पूरा जोर सामाजिक एवं आर्थिक सेक्टर्स में पूंजिगत व्यय से विकास पर है।

संगठित अपराध ने तोड़ा दम

बीते सात साल (Seven Years) में योगी सरकार ने माफिया और अपराधियों के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्य करते हुए प्रदेश की क़ानून व्यवस्था को सुदृढ़ किया। पिछले सात वर्षों में 194 से अधिक अपराधियों को मुठभेड़ में ढेर किया गया। इतना ही नहीं कोर्ट में प्रभावी पैरवी के जरिये 24,743 से अधिक अपराधियों को सजा दिलायी गई। गैंगस्टर एक्ट अधिनियम के तहत 71600 से अधिक अपराधियों को जेल भेजा गया और 124 अरब, 4 करोड़ 18 लाख, 52 हजार से अधिक की चल-अचल संपत्तियां जब्त की गयी। राज्य स्तर पर चिह्नित 68 माफिया और उनके गैंग के सदस्यों, सहयोगियों के खिलाफ कार्रवाई की गई। अब तक इनकी 3,758 करोड़ से अधिक की संपत्ति पर एक्शन लिया गया। एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार महिला सम्बन्धी अपराधों में संलिप्त अपराधियों को सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश, देश में नम्बर वन है।

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युवा और रोजगार सृजन

प्रदेश सरकार का सबसे अधिक जोर युवाओं के भविष्य को संवारने पर है। बीते सात साल (Seven Years) में प्रदेश सरकार ने सात लाख से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरी देकर भी कीर्तिमान रचा है। इसके अलावा युवाओं को निजी सेक्टर और स्वरोजगार से जोड़ते हुए एक करोड़ से अधिक रोजगार के अवसरों का भी सृजन हुआ है। प्रदेश सरकार ने इस साल के बजट में भी मुख्यमंत्री युवा उद्यमी विकास अभियान की शुरुआत की है, जिसके तहत अगले 10 साल में 10 लाख युवाओं को स्टार्टअप स्थापित करने में मदद बिना ब्याज के पांच लाख तक के ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।

शहरों का हुआ कायाकल्प

प्रदेश में 10 स्मार्ट सिटीज में लगभग 2000 करोड़ रुपए की लागत से 10 नगरों में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर एवं इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम क्रियाशील हैं। स्मार्ट सिटी की रैकिंग में प्रदेश के आगरा व वाराणसी शहर निरंत प्रथम 10 शहरों में सम्मिलित रहे हैं। केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी मिशन योजना की तर्ज पर उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के अन्य 7 नगर निगमों (अयोध्या, फिरोजाबाद, गोरखपुर, गाजियाबाद, मथुरा-वृन्दावन, मेरठ व शाहजहांपुर) को राज्य स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करने की अभिनव पहल की है।

बेटियों का जीवन किया समृद्ध

उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्ष की बात करें तो यहां सामाजिक सुरक्षा का बेहतर माहौल तैयार हुआ है। इसके क्रियान्वयन से नागरिकों के जीवन में ‘नया सवेरा’ आया है। सात वर्ष में एक ओर जहां 3.19 लाख से अधिक बेटियों के हाथ पीले कराए गए, वहीं मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के जरिए भी सिविल सर्विसेज की तैयारी करने वाले प्रतिभाशाली युवाओं के ‘सुखद भविष्य’ के बारे में भी पहली बार सोचा गया। 2020-21 में शुरू हुई इस योजना के तहत अब तक 51 हजार से अधिक युवा लाभान्वित हो चुके हैं। सात वर्ष में सरकार का जोर सामाजिक सुरक्षा के जरिए हर वर्ग के विकास पर रहा।

प्रदेश में बढ़ी हरियाली

यह यूपी (UP) सरकार के नेतृत्व के दृढ़ इच्छाशक्ति का ही कमाल है कि वृक्षारोपण जन अभियान-2023 के तहत दो दिन के भीतर उत्तर प्रदेश में 36.16 करोड़ पौधरोपण किए गए। यूपी में हरियाली का दायरा बढ़ा। पूर्ववर्ती सरकार की ओऱ से वर्ष 2003 से 2016-17 के बीच प्रतिवर्ष औसतन 4 करोड़ से 6 करोड़ की संख्या में बीच पौधरोपण किया जा रहा था, लेकिन योगी सरकार बनने के बाद से इसमें वृद्धि हुई। वर्ष 2017-18 में 5.72 करोड़, 2018-19 में 11.77 करोड़, वर्ष 2019-20 में 22.60 करोड़, वर्ष 2020-21 में 25.87 करोड़ एवं वर्ष 2021-22 में 30.53 करोड़ पौधरोपण किया गया। 2022-23 में 35 करोड़ और 2023-24 में 36.16 करोड़ पौधे लगाए गए। यानी सात वर्ष में कुल 167.65 करोड़ पौधरोपण किए गए।

शिक्षा ढांचे में आमूलचूल बदलाव

बीते सात साल (Seven Years) में प्रदेश में हुए बड़े बदलावों की बात करें तो शिक्षा ढांचे में आमूलचूल परिवर्तन हर किसी को चौंकती है। आज प्रदेश में प्रोजेक्ट अलंकार के तहत 1060 राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में स्मार्ट क्लास की स्थापना प्रारंभ हो चुकी है। वहीं उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड द्वारा अटल आवासीय विद्यालयों का संचालन किया जा रहा है। बरेली एवं मुरादाबाद को छोड़कर समस्त 16 मंडलों में अटल आवासीय विद्यालय का संचालन 11 सितंबर, 2023 से प्रारंभ कर दिया गया है। इसके अलावा प्रदेश में 36 असेवित विधानसभा क्षेत्रों में नए राजकीय औ‌द्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की जा रही है। इसके अतिरिक्त प्रदेश के 45 असेवित क्षेत्रों में भी नए राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों की स्थापना की जा रही है।

दुरुस्त हुआ यूपी का स्वास्थ्य

कभी बीमारू प्रदेश कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश आज योगी सरकार के प्रयासों से स्वास्थ्य सेवाओं में कई उपलब्धियां दर्ज कर रहा है। पिछले सात वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतर प्रदर्शन के लिए प्रदेश को कई पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। वहीं योगी सरकार ने प्रदेश को दवा निर्माण का हब बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाये हैं। इसी का नतीजा है कि आज प्रदेश में मेडिकल डिवाइस पार्क, बल्क ड्रग पार्क, मेडिटेक पार्क मूर्त रूप ले रहे हैं। पिछले सात साल में प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को मजबूती देते हुए यूपी में 35 सरकारी मेडिकल कालेज, 31 निजी क्षेत्र के मेडिकल कालेज, सरकारी क्षेत्र में प्रतिवर्ष 3828 एमबीबीएस सीट, निजी क्षेत्र में 5450 एमबीबीएस सीट के अलावा प्रदेश में वर्तमान में 2 एम्स क्रमशः रायबरेली (100 एमबीबीएस सीट) व गोरखपुर (125 एमबीबीएस सीट) संचालित हैं।

महोत्सव प्रदेश

उत्तर प्रदेश अब माफिया नहीं महोत्सवों के प्रदेश के रूप में पहचाना जा रहा है। प्रदेश में आयोजित होने वाले उत्सवों और महोत्सवों की फेहरिस्त काफी लंबी है। यहां एक साल में 50 से अधिक आयोजनों से न केवल पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को गति मिल रही है, बल्कि यूपी को लेकर देश-दुनिया का परसेप्शन भी बदल रहा है। यहां तक कि यूपी में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग की ओर से देश-विदेश में आयोजित होने वाले इवेंट्स में भी प्रमोशन किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश का एक भी ऐसा भौगोलिक क्षेत्र नहीं है जहां स्थानीयता और विरासत को अहमियत देते हुए मेले, उत्सव या महोत्सवों का आयोजन न किया जा रहा हो। यही वजह है कि यूपी में विगत एक साल में 44 करोड़ से अधिक पर्यटक आए, जो अबतक का रिकॉर्ड है।

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