कहते हैं कि महाभारत का युद्ध गंधार नरेश शकुनि की उस रंजिश का परिणाम था, जो उन्होंने गंगा पुत्र भीष्म से ठान रखी थी। और, उस रंजिश का मूल कारण था, नेत्रहीन धृतराष्ट्र से गांधारी का विवाह। सो, शकुनि ने कुरुवंश का खात्मा करके ही दम लिया। वह कंस से एक कदम आगे निकल गए। तभी से मामा नामी रिश्ता और बदनाम हो गया। वरना मामा तो मारीच भी थे, जो रावण के लिए छद्म रूप धारण करके सोने का हिरन बन गए थे। अब सुनिए उस कलयुगी मामा की कहानी, जिसने गुरुग्राम के सेक्टर दस इलाके से अपनी बारह वर्षीय भांजी को 25 लाख रुपये की फिरौती वसूलने के लिए अगवा कर लिया और बहनोई को बाकायदा व्हाट्सऐप पर मैसेज भी भेज दिया कि बताई गई रकम अमुक रेलवे स्टेशन पर अमुक ट्रेन में रखवा दी जाए।\
साथ ही धमकी दी गई कि पैसा न पहुंचाने पर बच्ची की हत्या कर दी जाएगी। यह तो अच्छा हुआ कि बच्ची के पिता ने विवेक से काम लिया और समय रहते पुलिस को सूचित कर दिया। मामला संज्ञान में आते ही एसीपी पालम विहार ने थाना पुलिस एवं क्राइम ब्रांच की पांच टीमें गठित करके जांच-पड़ताल शुरू कर दी और चार घंटे के भीतर फाजिलपुर इलाके से आरोपी को गिरफ्तार कर अगवा बच्ची को मुक्त करा लिया। आरोपी पिछले पांच-छह दिनों से बहन के घर ठहरा हुआ था। बहनोई की अच्छी नौकरी एवं आर्थिक स्थिति देखकर उसके मन में लालच आ गया। तुर्रा यह कि आरोपी दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहा है। साथियों के हाई-फाई खर्च देखकर उसने बहन के घर सेंध लगाने की ठान ली।
मुखर्जी नगर देश को एक से एक बढ़कर काबिल नेतृत्व देता है, यही उसकी प्रतिष्ठा है। आरोपी ने विद्या के उस पावन स्थल की गरिमा गिराने का भी अपराध किया। ऐसे लोग ही ऊंचा ओहदा पाकर सरकारी खजाना लूटते हैं। आज यहां पर इस विषय पर चर्चा इसलिए कि हम उस समाज में रहते हैं, जो भांजी-भांजे के विवाह के मौके पर कर्ज लेकर भात भरने की रस्म अदा करता है, ताकि बहन की नाक उसके घर-परिवार एवं नाते-रिश्तेदारों के बीच ऊंची बनी रहे। पैसा किस कदर लोगों को अनैतिक बना रहा है, यह इस घटना से साफ साबित हो जाता है। सच तो यह है कि मौजूदा समय में हर रिश्ता बेमानी हो चुका है, स्वार्थ हम पर भारी पड़ रहे हैं। यह एक दु:खद स्थिति है।
संजय मग्गू