हरियाणा का खेलों से बहुत पुराना संबंध है। वैदिक काल में भी युद्ध को भी एक कला माना जाता था और युद्ध कला की प्रतियोगिताएं होती थीं। भाला फेंकना, घुड़सवारी करना, तीर-तलवार चलाना, मल्ल युद्ध यानी कुश्ती आदि की प्रतियोगिताएं इस इलाके में होती रहती थीं। शायद यही वजह है कि आज भी हरियाणा के युवक-युवतियां खेलों में अपना नाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन कर रहे हैं। मनोहर लाल की पूर्ववर्ती सरकार ने खिलाड़ियों को हर तरह की सुविधाएं और पुरस्कार देकर उन्हें देश-प्रदेश का नाम रोशन करने के लिए प्रोत्साहित किया। यही वजह है कि आज खेल के क्षेत्र में हरियाणवी छोरे-छोरियों का परचम लहरा रहा है। प्रदेश की भाजपा सरकार ने तो स्कूल स्तर पर ही खिलाड़ियों की नई पौध पैदा करने के लिए खेलकूद अनिवार्य कर दिया है और पदक विजेता खिलाड़ियों को इनमें तैनाती देकर उन्हें जिम्मा दिया है कि वे खिलाड़ियों की नई पौध तैयार करें।
इसका कारण यह है कि अभी देश और प्रदेश के खिलाड़ियों को कुछ और नए कीर्तिमान गढ़ने हैं। इसके लिए जरूरी है कि प्रदेश के खिलाड़ियों की नई पौध को इतना अच्छा खिलाड़ी बना दिया जाए कि वे दुनिया में अपना डंका बजा सकें। वैसे प्रदेश सरकार ने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए कई ऐसी योजनाएं चला रखी हैं जिसकी वजह से खिलाड़ियों को किसी तरह की दिक्कत नहीं होती है। अर्जुन, द्रोणाचार्य, मेजर ध्यानचंद और तेनजिंग नोर्गे पुरस्कार प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों को प्रदेश सरकार बीस हजार रुपये मासिक मानदेय दे रही हैं। भीम अवार्डी खिलाड़ियों के लिए यह मानदेय पचास हजार रुपये दिया जाता है। हरियाणा अपने खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने में कोई कसर नहीं छोड़ता है।
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अंतर्राष्ट्रीय खेलों में क्वालीफाई करते ही राज्य सरकार पांच लाख रुपये प्रदान करती है। ओलंपिक और पैरालिंपिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले को छह करोड़, रजत पदक जीतने वाले खिलाड़ी को चार करोड़ और कांस्य पदक जीतने वाले को ढाई करोड़ राज्य सरकार प्रदान करती है। इतना ही नहीं, एशियन और पैराएशियन खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले खिलाड़ी को तीन करोड़, रजत पदक विजेता को डेढ़ करोड़ और कांस्य पदक जीतने वाले को 75 लाख रुपये पुरस्कार स्वरूप मिलते हैं।
राष्ट्रमंडल खेलों मेंभी पदक विजेताओं को अच्छी खासी रकम हासिल होती है। नकद पुरस्कार देने में शायद हरियाणा पूरे देश में सबसे आगे है। इसका श्रेय जाता है प्रदेश सरकार की पदक लाओ ईनाम पाओ की नीति को। प्रदेश के पदक विजेताओं को भारी भरकम राशि पुरस्कार के रूप में देने से यहां के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलता है और वे मन लगाकर अपने लक्ष्य में जुट जाते हैं।
-संजय मग्गू
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