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मासूम बच्चों के दिमाग में जहर घोल रहा सोशल मीडिया

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जानते हैं पिछले 12 साल में यह पहला मौका है, जब टॉप-20 खुशहाल देशों की लिस्ट से अमेरिका बाहर हो गया है। इस सूची में अमेरिका 23वें और भारत 126वें स्थान पर है। पिछले 12 साल में अमेरिका के पिछड़ने का कारण जानकर हर कोई हैरान है। अमेरिका के ज्यादातर युवा सोशल मीडिया एडिक्शन की वजह से तनाव में हैं। हम भारतीयों की तरह ही अमेरिकी टीनएजर्स देर रात तक सोशल मीडिया पर मौजूद रहते हैं। वे कुछ ऐसे पोस्ट या फीड देखते हैं जो उनको नहीं देखना चाहिए। जब खुशहाल देशों के लिए सर्वे किया जा रहा था, तब यह बात बड़ी प्रमुखता से उभर कर सामने आई कि अमेरिकी टीनएजर्स सोशल मीडिया एडिक्शन की वजह से काफी परेशान हैं। उन्हें नींद न आने समस्या से जूझना पड़ रहा है। इसकी वजह से उनमें गुस्सा, झुंझलाहट  और बेचैनी बढ़ रही है।

वे अपनी वर्तमान स्थितियों से असंतुष्ट हैं। लेकिन उसका कारण क्या है, यह टीनएजर्स समझ नहीं पा रहे हैं। वे गुस्सा हैं, लेकिन किस पर और क्यों? इसका जवाब उनके पास नहीं है। यही वजह है कि अब अमेरिका के कुछ राज्यों ने तय किया है कि टीनएजर्स को उनके माता-पिता की अनुमति के बाद ही फीड पर कुछ दिखा सकेंगे। न्यूयार्क की गवर्नर कैथी होचुल और अटार्नी जनरल लेटिटिया जेम्स ने एक कानून प्रस्तावित किया है जिसके मुताबिक नाबालिग बच्चों को क्या-क्या दिखाया या पढ़ाया जाएगा, इसके बारे में बच्चों के परिजनों से इजाजत लेनी होगी। बच्चे देर रात तक सोशल मीडिया पर ही उलझे न रहें, इसके लिए रात बारह बजे से सुबह छह बजे तक सोशल मीडिया की पहुंच बाधित करने की बात कही गई है।

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दरअसल, अमेरिका ही नहीं पूरी दुनिया के नाबालिग बच्चों तक पोर्न, अश्लील कंटेंट, फिल्में बहुतायत में पहुंच रही हैं, उससे सोशल मीडिया मंचों पर वे अपना ज्यादातर समय बिता रहे हैं। इससे उनकी नींद नहीं पूरी हो पाती है, वे पढ़ाई में भी पिछड़ रहे हैं। नींद पूरी न होने की वजह से वे तनाव महूसस कर रहे हैं। नतीजा यह हो रहा है कि उनका भविष्य दांव पर लग जा रहा है। वे जीवन की दौड़ में पिछड़ रहे हैं। तमाम सुख-सुविधाएं होने के बावजूद उनमें हताशा और कुंठा पैदा हो रही है।

अमेरिकी राज्यों में आए दिन स्कूल में की जाने वाली गोलीबारी का एक कारण सोशल मीडिया भी है। सोशल मीडिया पर मौजूद सामग्री उन्हें भ्रमित कर रही है। भारत में कई तरह के बढ़ते अपराध का कारण भी सोशल मीडिया ही है। अब तो सोशल मीडिया पर जातीयता और सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने वाला कंटेंट बहुतायत में परोसा जा रहा है। यह सब कुछ एक सुनियोजित साजिश के तहत हो रहा है। देश और प्रदेश में सांप्रदायिकता का जहर घोलने की कोशिश करने वाले अपने कुकृत्य में सफल होते भी दिख रहे हैं। सरकार को भी अमेरिकी राज्यों की तरह सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने की पहल करनी होगी। बच्चों की पहुंच से अवांछित सामग्री को दूर रखना होगा।

Sanjay Maggu

-संजय मग्गू

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