आर्थिक मोर्चे पर भरत के लिए एक साथ कई अच्छी खबरें हैं। मोर्गन स्टेनले की हालिया रिपोर्ट में भी इस बात की चर्चा की गई है कि एक तरफ जहां पूरा विश्व मंदी से बचने के समाधान तलाशने में लगा है, वहीं दूसरी तरफ भारत के आर्थिक विकास का पहिया तेजी से घूम रहा है। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि आर्थिक मोर्चे पर पिछले 10 वर्षों में व्यापक बदलाव हुए हैं, जिसका नतीजा है कि आगामी आठ वर्षों में वैश्विक बाजार में भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी दोगुनी होकर 4.5 प्रतिशत हो जाएगी। वर्ष 2032 तक प्रति व्यक्ति आय मौजूदा 2,200 डॉलर से बढ़कर 5,200 डॉलर हो जाएगी। विनिर्माण गतिविधियों, कृषि, खनन और निर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन और निजी निवेश के दम पर देश की अर्थव्यवस्था उम्मीद से बेहतर रफ्तार से आगे बढ़ी है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय से जारी आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी 7.2 फीसदी की दर से बढ़ी है। ऐसा तब हुआ, जब पूरी दुनिया आर्थिक मंदी की आहट और विकास दर घटने का अनुमान लगा रही है। साफ है कि मजबूत और प्रभावी नीतियां आर्थिक मोर्चे पर भारत की तस्वीर बदल रही हैं।
भारत की आर्थिक बेहतरी के इन संकेतों के बीच इस बात पर अलग से ध्यान देने की जरूरत है कि इसमें राज्यों का विनियोग क्या है। इस लिहाज से केंद्र सरकार के विकास रथ को जो राज्य डबल इंजन के जोर पर आगे खींचने में लगे हैं, उनमें सबसे ज्यादा दारोमदार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात सरकार पर है। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव इसी साल होने हैं। सो वहां सरकार पूरी तरह चुनावी मोड में है और नई घोषणाओं में जुटी है। ऐसे में अर्थ पंडितों को भी यही लगता है कि गुजरात से उभरे विकास मॉडल का नया और अपडेटेड वर्जन देश के सामने आने का समय आ गया है। इस दरकार को जो राज्य आगे बढ़कर पूरा करता दिख रहा है, वह देश का सबसे बड़ा सूबा उत्तर प्रदेश है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश की विकासवादी छवि लोगों में कैसे लोकप्रिय हो रही है। इसकी एक मिसाल इसी साल जनवरी के महीने में सामने आई। मुंबई में योगी यूपी ग्लोबल बिजनेस समिट के लिए रोड शो पर निकले। आलम यह रहा कि ट्विटर पर हैशटैग योगीनॉमिक्स और ‘योगी जी’ घंटों टॉप ट्रेंड में आ गए। ट्विटर पर 36.27 करोड़ यूजर्स तक हैशटैग योगीनामिक्स पहुंचा। तकरीबन 14 हजार से ज्यादा यूजर्स ने इस हैशटैग के जरिए यूपी सरकार पर विश्वास जताते हुए अपने विचार सामने रखे। हाल-फिलहाल के वर्षों में देश के किसी राजनेता की आर्थिक वजहों से इतनी चर्चा शायद ही हुई हो।
दिलचस्प है कि कुछ वर्ष पहले तक बीमारू राज्यों में शामिल यूपी आज एक अग्रणी और स्मार्ट नीति के सफल कार्यान्वयन के साथ तेजी से विकास कर रहा है। देश के जीडीपी में राज्य आठ प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहा है। यूपी सरकार ने आगामी पांच वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत को पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में एक ट्रिलियन डॉलर के योगदान का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस वर्ष लखनऊ में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर समिट से इस लक्ष्य को बल मिला। इस समिट में 35 लाख करोड़ रुपये का निवेश प्राप्त हुआ। प्राकृतिक संसाधनों से संपन्न और सबसे बड़े उपभोक्ता व श्रम बाजार के रूप में देश भर में जाने जाने वाले यूपी को योगी सरकार का मॉडल भारत का सबसे बड़े विनिर्माण केंद्र में बदल रहा है।
योजना के मुताबिक सभी कार्य होते रहे तो आने वाले वर्षों में उत्तर प्रदेश निश्चित रूप से एक करोड़ से अधिक रोजगार पैदा करने की क्षमता रखता है। राज्य को आर्थिक मोर्चे पर मजबूत करने में यहां की करीब 96 लाख एमएसएमई इकाइयों बैकबोन की तरह काम कर रही हैं। प्रदेश की ओडीओपी यानी एक जनपद एक उत्पाद योजना की प्रशंसा राष्ट्रीय स्तर पर की गई है और इसे मजबूती देने के लिए कौशल विकास केंद्र लगातार प्रशिक्षित श्रमिक तैयार करने में लगे हैं। इस योजना के तहत 15 लाख से अधिक युवाओं को प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने का काम किया गया है।
विभिन्न एक्सप्रेस-वे के निर्माण के साथ-साथ तीन नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों ने लॉजिस्टिक्स और पहुंच को यूपी के हर कोने तक बहुत तेजी से पहुंचाया है, जो दुनिया भर के निवेशकों को आकर्षित कर रहा है। यूपी न केवल उद्योग के लिए सेंटर आॅफ एक्सीलेंस के रूप में उभरा है, बल्कि हिंदू धर्म के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रसार का भी केंद्र बना गया है। अयोध्या, वाराणसी, मथुरा जैसे धार्मिक स्थलों को एक नई पहचान मिली है। पर्यटकों की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।
इस बार यूपी सरकार ने जब करीब सात लाख करोड़ रुपये का बजट पेश किया तो उसमें इस बात की चर्चा खासतौर पर हुई कि सरकार ने समाज के उन वर्गों के भी हित और कल्याण की बात कही, जो अब तक प्रदेश की आर्थिक रचना से बाहर माने जाते थे। विकास का यह सर्व-स्पर्शी और सर्व-समावेशी तकाजा जमीन पर तब और मजबूत हो जाता है, जब इसके साथ सरकार का अपना तंत्र भी सहायक हो जाता है। यह बात इसलिए भी अहम है क्योंकि भारत सहित दुनिया में निवेश का स्लोप और स्कोप वहीं हैं, जहां प्रशानिक और कानून-व्यवस्था की स्थिति अनुकूल हो। यूपी ग्लोबल इनवेस्टर समिट में इस बात के लिए प्रदेश सरकार की सराहना देश के कई चोटी के उद्योगपति और निवेशक कर चुके हैं।
रीना एन सिंह