बोधिवृक्ष
अशोक मिश्र
कुछ लोगों को ज्योतिष पर बहुत ज्यादा विश्वास होता है। वह ज्योतिषी से बिना पूछे कुछ भी नहीं करते हैं, भले ही उन्हें कितना ही नुकसान हो जाए। दरअसल, ज्योतिष एक विज्ञान है, लेकिन ज्योतिष के नाम पर बहुत सारी चीजें ऐसी जोड़ दी गई हैं जिससे अंधविश्वास का जन्म होता है। लोग इस अंधविश्वास में फंसकर अपना और अपने परिवार को नुकसान करा बैठते हैं।
एक राज्य में वसुसेना नाम का राजा था। वह अपने राज ज्योतिषी पर बहुत ज्यादा विश्वास करता था। यहां तक कि वह कोई भी काम बिना अपने ज्योतिषी से पूछे करता ही नहीं था। राज्य की प्रजा भी राजा के इस अंधविश्वास से बहुत परेशान थी। वसुसेना के पड़ोसी राजा उसके उस अवगुण से परिचित थे। वह इसी ताक में थे कि कब कोई ऐसा मुहूर्त निकले, जब वह आक्रमण करें और वसुसेना के लड़ने का मुहूर्त न हो। एक दिन की बात है। राजा वसुसेना अपने ज्योतिषी के साथ राज्य में भ्रमण पर निकले। राजा के साथ हाथी पर ज्योतिषी भी बैठा हुआ था। एक गांव में पहुंचने पर ज्योतिषी ने देखा कि एक किसान अपने कंधे पर हल और साथ में बैल लेकर एक दिशा में जा रहा था। उसे देखते ही ज्योतिषी चिल्लाया, अरे मूर्ख किसान, जिस दिशा में जा रहा है, उस ओर दिशा शूल है। यह सुनकर किसान ने कहा कि मैं तो अपने खेत जोतने के लिए हमेशा इसीदिशा में जाता रहा हूं, हो सकता है, किसी दिन दिशा शूल भी रहा हो, लेकिन मेरा अब तक तो कोई नुकसान नहीं हुआ। ज्योतिषी ने किसान से हाथ दिखाने को कहा, तो उसने उल्टा हाथ ज्योतिषी के आगे कर दिया। ज्योतिषी ने हाथ सीधा करने को कहा, तो किसान बोला, मैं किसी के आगे हाथ नहीं फैलाता। यह सुनकर राजा को अपनी भूल का एहसास हुआ।