राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी)( Bihar NGT: ) ने बिहार में नदियों के प्रदूषित क्षेत्र के बढ़ते दायरे और अपर्याप्त सीवेज शोधन सुविधाओं को लेकर राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) पर सख्त कार्रवाई न करने के लिए नाराजगी जताई है। एनजीटी ने बिहार में गंगा सहित अन्य नदियों के प्रदूषण को लेकर एक समाचार पत्र में प्रकाशित खबर का स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले की सुनवाई शुरू की थी।
Bihar NGT: बुनियादी ढांचे चालू नहीं होने से प्रदूषण की समस्या
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव की अध्यक्षता वाली पीठ, जिसमें न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल भी शामिल थे, ने अपने आदेश में इस मुद्दे पर चिंता व्यक्त की। पीठ ने बताया कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने 9 अगस्त को एक रिपोर्ट दाखिल की थी, जिसमें यह बताया गया था कि बिहार में मौजूदा सीवेज शोधन संयंत्रों (एसटीपी) की क्षमता का पूर्ण उपयोग नहीं हो रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि कुछ स्थापित बुनियादी ढांचे अभी तक चालू नहीं हो पाए हैं, जिससे प्रदूषण की समस्या बनी हुई है।
प्रदूषित क्षेत्रों का विस्तार बढ़ रहा है
रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में नदियों के प्रदूषित क्षेत्रों का विस्तार समय के साथ बढ़ता जा रहा है। इसके बावजूद, एनएमसीजी द्वारा इस समस्या के समाधान के लिए कोई कठोर कदम नहीं उठाया गया है। न्यायाधिकरण ने कहा कि राज्य में उचित सीवेज शोधन सुविधाओं की कमी और पर्याप्त एसटीपी न होने के कारण प्रदूषित क्षेत्रों का विस्तार हो रहा है, लेकिन इसके बावजूद एनएमसीजी की ओर से कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई है, जो बेहद चिंताजनक है।इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 25 नवंबर की तिथि निर्धारित की गई है, ताकि इस गंभीर समस्या पर आगे चर्चा और कार्रवाई की जा सके।