जब यह कालम लिखा जा रहा था, तब तक उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर जो रुझान थे, उसके मुताबिक भाजपा 34, सपा 36 और कांग्रेस छह सीटों पर आगे चल रही थीं। माना जा रहा है कि कमोबेश एकाध सीटों के हेरफेर के साथ यही परिणाम रहने वाला है। लोकसभा चुनाव 2024 के अब तक जो रुझान और परिणाम आए हैं, उसको देखते हुए कहा जा सकता है कि भाजपा को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश से मिला है। वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी तीसरी बार चुनाव जीत गए हैं, लेकिन इस बार जीत का मार्जिन लगभग पौने दो लाख है।
लोकसभा चुनाव के परिणाम इस बात की ओर साफ इशारा करते हैं कि उत्तर प्रदेश में भाजपा को राममंदिर के निर्माण और प्राण प्रतिष्ठा का कोई फायदा नहीं मिला है। उत्तर भारत में सीएम योगी आदित्यनाथ के बुलडोजर मॉडल को उत्तर प्रदेश की जनता ने नकार दिया है। प्रदेश सरकार और अन्य प्रदेशों की भाजपा सरकारों ने जिस तरह बुलडोजर न्याय को महिमामंडित किया था, उसे प्रदेश की जनता ने पसंद नहीं किया। इतना ही नहीं, प्रदेश में भर्ती परीक्षा के लिए होने वाले बार-बार पेपर लीक युवाओं को नाराज कर दिया था। उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी चरम पर है। ऐसी स्थिति में सरकारी नौकरियों के लिए परीक्षा फार्म को भरने का शुल्क और परीक्षा केंद्र तक आने जाने पर खर्च होने वाली रकम बेरोजगारों पर भारी पड़ रही थी। ऐसे में जब पेपर लीक होने से परीक्षा स्थगित हो जाती थी, तो उनमें रोष पैदा होता था। इसी रोष का प्रकटीकरण इस बार लोकसभा के चुनाव में युवाओं ने भाजपा के खिलाफ वोट डालकर किया है। यही नहीं, अग्निवीर योजना ने भी भाजपा को काफी हद तक उत्तर प्रदेश में नुकसान पहुंचाया है।
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इंडिया गठबंधन का यह दावा कि उनकी सरकार बनी तो अग्निवीर योजना को खत्म कर दिया जाएगा, इसने युवाओं को अपनी ओर खींच लिया। भाजपा की उत्तर प्रदेश में हुई दुर्गति के पीछे इंडिया गठबंधन की कुशल कूटनीति भी रही है। इंडिया गठबंधन का घोषणा पत्र जारी होने के बाद से ही राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित गठबंधन में शामिल पार्टियों ने बड़ी शिद्दत के साथ यह प्रचार किया कि यदि भाजपा सरकार दोबारा आई, तो वह संविधान बदल देगी। दलितों, ओबीसी और आदिवासियों को मिलने वाला आरक्षण खत्म कर देगी।
संयोग या दुर्योग से भाजपा के कुछ नेताओं ने इससे पहले यह बयान दिया था कि हमें संविधान बदलने के लिए संसद में लगभग चार सौ सांसदों की जरूरत है। यह बयान इसलिए भाजपा पर भारी पड़ा क्योंकि इन जातियों को आज जो कुछ भी अधिकार और सुविधाएं मिल रही हैं, वह भारतीय संविधान की बदौलत मिल रही हैं। यदि इस संविधान पर तनिक भी आंच आने की आशंका हो, तो सदियों बाद सम्मान से जीने का हक पाने वाले लोग इसकी सुरक्षा के लिए किसी भी हद तक गुजर सकते थे। राहुल गांधी तो अपनी हर रैली, जनसभा और रोड शो में संविधान की छोटी पुस्तिका लोगों को जरूर दिखाते थे। उस पर भाजपा के एक उम्मीदवार के खिलाफ एक उम्मीदवार उतारने की रणनीति काम कर गई। इससे भाजपा विरोधी वोट का बंटवारा नहीं हुआ और इंडिया गठबंधन को इसका लाभ मिला।
-संजय मग्गू
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