सोलोन को पश्चिमी जगत में न्याय की स्थापना करने वाले प्रमुख लोगों में से एक कहा जाता है। उनका जन्म ईसा से 640 वर्ष पूर्व माना जाता है। अपने समकालीन समाज में सोलोन की प्रखर राजनेता, न्यायविद, समाज सुधारक और कवि के रूप में बहुत ख्याति थी। उनके बारे में उनकी कविताओं के माध्यम से ही पूरी दुनिया जान पाती है क्योंकि जिस युग में वह पैदा हुए थे, उस समय तक एथेंस में इतिहास लिखने की परंपरा शुरू नहीं हुई थी। भारतीयों की तरह ही वहां के लोगों ने भी उनकी कविताओं, विचारों को कंठस्थ किया और कई सौ साल बाद उसे लिपिबद्ध किया।
उनके बारे में एक कथा बहुत प्रचलित है। कहा जाता है कि एक बार वे अपने हाथ में एक सड़ा हुआ सेब लेकर भीड़ के पास गए। उन्होंने पूछा कि इस सेब को पुनर्जीवन कैसे दिया जा सकता है। उनकी बात सुनकर सारे लोग चुप रहे। सोलोन ने अपनी बात कई बार दोहराई और पूछा कि इस सेब को कैसे पुनर्जीवन दिया जा सकता है। किसी ने कुछ नहीं बताया, तो उन्हें काफी दुख हुआ। उन्होंने अपनी जेब से चाकू निकाला और उसे दो फांकों में करके उस सेब के सड़ने से बचे हुए बीज को निकाला और लोगों को दिखाते हुए कहा कि इस सड़े हुए सेब को पुनर्जीवन इसके बीजों को बोकर दिया जा सकता है।
जब इस सेब के बीजों को बोया जाएगा, तो उससे कई सेब के पौधे उगेंगे। ये पौधे ही इस सेब को पुनर्जीवन प्रदान करेंगे। उन्होंने अपनी बात लोगों को समझाते हुए कहा कि ठीक इसी तरह बच्चे होते हैं। यदि बच्चों की ठीक से शिक्षा दीक्षा दी जाए, तो वे एक स्वस्थ समाज का निर्माण करेंगे। हमें अपने या बुजुर्ग पीढ़ी के विकास पर ध्यान देने की जगह बच्चों के विकास पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि यही भावी समाज का निर्मण करेंगे।
-अशोक मिश्र