Wednesday, October 16, 2024
33.1 C
Faridabad
इपेपर

रेडियो

No menu items!
HomeEDITORIAL News in Hindiसमाज में घूमते महिषासुरों, रावणों से पहले निपटना होगा

समाज में घूमते महिषासुरों, रावणों से पहले निपटना होगा

Google News
Google News

- Advertisement -

संजय मग्गू
मातृशक्ति पूजन के नौ दिन पूरे हो गए हैं। नौ दिनों तक शक्ति की उपासना के बाद हमने कल ही विजयादशमी मनाई। विजया देवी दुर्गा का एक नाम है। पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के दिनों में हम दुर्गा के विभिन्न रूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। उनके विभिन्न रूपों ने समय-समय पर महिषासुर, शुंभ-निशुंभ, चंड-मुंड, रक्तबीज और धूम्रलोचन जैसे न जाने कितने खलपात्रों कावध किया था। यह लोग समाज में अशांति फैलाना चाहते थे। समाज को दबाकर रखना चाहते थे। अपने आतंक से लोगों का शोषण किया करते थे। इनके खिलाफ मातृशक्ति यानी मां दुर्गा ने विभिन्न रूप धारण करके युद्ध के लिए ललकारा था। युद्ध में इनका वध किया था। इन्होंने समाज में मातृशक्ति को स्थापित किया था। कारण है कि आज भी शक्तिपूजकों के बीच दुर्गा के ये नौ रूप बहुत महत्व रखते हैं। नौ दिन तक चले युद्ध के बाद देवी ने दसवें दिन महिषासुर का वध किया था। उसी की याद में विजयादशमी मनाई जाती है। पश्चिम बंगाल और अन्य शक्तिपूजक प्रदेशों में विजयादशमी महिषासुर पर विजय के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। वहीं इसका संबंध भगवान श्रीराम और रावण युद्ध से भी जुड़ता है। कहते हैं कि अश्विन मास की दशमी तिथि को ही राम ने रावण का वध किया था। इन दोनों पौराणिक मान्यताओं में एक बात कामन है और वह है असत्य पर सत्य की जीत, बुराई पर अच्छाई की जीत। महिषासुर और रावण दोनों बुराई के प्रतीक माने जाते हैं। देवी दुर्गा और भगवान राम समाज की भलाई के लिए, सत्य और न्याय के लिए लड़ रहे थे। इसलिए वैष्णव अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी को विजय दशमी के रूप में मनाते हैं। आज के हालात में नवरात्रि और विजय दशमी का महत्व कुछ बढ़ जाता है। समाज में मातृशक्ति यानी लड़कियों और महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके खिलाफ हमें खड़ा होने की प्रेरणा नवरात्रि के नौ दिन देते हैं। नवरात्रि पर कंजक पूजने वाला समाज कन्या भ्रूण हत्या का भी अपराधी है। एक ओर कंजक पूजता है और दूसरी ओर कन्या भ्रूण को जन्म लेने के अधिकार से वंचित कर देता है। यह कैसी मातृशक्ति के प्रति भक्ति है। यही वजह है कि स्त्री-पुरुष का लिंगानुपात गड़बड़ा रहा है। यह स्थिति किसी भी सभ्य समाज के लिए उचित नहीं है। समाज में न जाने कितने रावण और महिषासुर घूम रहे हैं। जो समाज और स्त्रियों के लिए खतरा हैं। इन रावणों और महिषासुरों को इनके कर्मों की सजा वर्तमान कानून के अनुसार मिलनी ही चाहिए। भविष्य में मातृशक्ति का अपमान न हो, उनकी इज्जत पर आंच न आए, इसके लिए हमें तैयार होना होगा और मातृशक्ति को अपनी इज्जत की रक्षा के लिए खुद आगे आना होगा, तभी स्वस्थ समाज का निर्माण संभव हो सकेगा।

संजय मग्गू

- Advertisement -

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

RELATED ARTICLES
Desh Rojana News

Most Popular

Must Read

हेमा मालिनी: सिनेमा की ‘ड्रीम गर्ल’ और समाज की प्रेरणा

अदाकारा हेमा मालिनी आज अपना 76वां जन्मदिन मना रहीं हैं।हेमा मालिनी, भारतीय फिल्म उद्योग की एक अद्वितीय पहचान, ने अपने करियर की शुरुआत 1968...

CEC-Haryana-EVM:  मुख्य चुनाव आयुक्त ने ईवीएम बैटरी स्तर के आरोपों को खारिज किया

मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC-Haryana-EVM:  ) राजीव कुमार ने 'ईवीएम बैटरी के विभिन्न स्तरों' के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीनें...

HR BJP SAINI: नायब सिंह सैनी कल लेंगे मुख्यमंत्री पद की शपथ

हरियाणा में आज से (HR BJP SAINI: ) सरकार के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार...

Recent Comments