हरियाणा की चुनावी चौसर पर बिसात बिछाई जा रही है। हर दल अपनी-अपनी चाल चल रहा है। आरोप-प्रत्यारोप और तीखे बोल के रूप में शह और मात का खेल खेला जा रहा है। हर राजनीतिक दल अपने गढ़ को बचाने में लगा हुआ है। वहीं, विरोधी दल और बगावत करने वाले नेता दूसरे के गढ़ पर कब्जा करने की रणनीति बनाने में लगे हुए हैं। भाजपा और कांग्रेस सहित चुनाव लड़ने वाले सभी दलों ने नामांकन की आखिरी तारीख के बाद चुनावी सभाओं और जुलूसों का कार्यक्रम तय करना शुरू कर दिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 14 सितंबर से कुरुक्षेत्र से चुनावी बिगुल फूंकेंगे। उनकी रैली को लेकर भाजपा में काफी उत्साह है। पीएम मोदी इस बार गैर जाट बहुल इलाके से चुनावी रणभेरी फूंकने वाले हैं। पिछली बार पीएम मोदी ने 19 विधानसभा सीटों वाली अहिरवाल इलाके से चुनावी सभा का आगाज किया था।
इस बार गैर जाट बहुल इलाके से चुनावी सभा की शुरुआत करने के पीछे लाडवा से सीएम नायब सिंह सैनी का चुनाव लड़ना माना जा रहा है। लाडवा विधानसभा कुरुक्षेत्र जिले में आती है। यही वजह है कि पीएम मोदी कुरुक्षेत्र से कई विधानसभाओं के मतदाताओं को साधने की कोशिश करेंगे। वैसे, पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल, सीएम सैनी और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर सहित अन्य कई राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता और मंत्री नामांकन पत्र दाखिल करने के मौके पर उपस्थित होकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। कांग्रेस में तो फिलहाल पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके सांसद पुत्र देवेंद्र हुड्डा ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं। पिता-पुत्र हर इलाके में पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं इन पिता-पुत्र की विरोधी मानी जाने वाली कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला की सक्रियता या तो सीमित क्षेत्र में है या फिर बिल्कुल नहीं है।
जुलाना से विधानसभा सीट पर लड़ने वाली महिला पहलवान विनेश फोगाट को पूरे प्रदेश में घुमाकर सहानुभूति वोट हासिल करने की भी योजना कांग्रेस बना रही है। कांग्रेस नेताओं में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के बीस सितंबर के बाद चुनाव प्रचार में उतरने की योजना है। 20-22 सिंतबर के आसपास कांग्रेस नेता राहुल गांधी जींद से चुनाव प्रचार की शुरुआत कर सकते हैं। यह इलाका जाट बहुल है। हरियाणा में बसपा भी चुनाव लड़ने के लिए कमर कस चुकी है। ऐसी स्थिति में यह भी संभावना है कि बसपा सुप्रीमो मायावती उत्तर प्रदेश की सीमाओं से लगती विधानसभाओं में चुनाव प्रचार कर सकती हैं। जहां तक आप, जजपा, इनेलो जैसी पार्टियों का सवाल है, ये इस बार कोई करिश्मा दिखा पाएंगी, इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं। यह भाजपा और कांग्रेस का वोट जरूर काट सकती हैं। बागियों से भाजपा और कांग्रेस दोनों को खतरा है। कांग्रेस के मुकाबले भाजपा को कुछ ज्यादा।
-संजय मग्गू