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हरियाणा सरकार के गले की फांस न बन जाए सुप्रीमकोर्ट का फैसला

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प्रदेश में नौकरियों को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। प्रदेश सरकार का दावा है कि आगामी दो महीनों में पचास हजार भर्तियां की जाएंगी। इसके लिए बाकायदा रोडमैप तैयार कर लिया गया है। हालांकि सरकार के इस दावे को विपक्ष ने ढकोसला बताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार जानबूझकर युवाओं को नौकरियां देना नहीं चाहती है। सरकार नीतियां ही गलत बनाती है जिसकी वजह से बार-बार भर्तियों पर रोक लग जाती है। प्रदेश सरकार की वजह से प्रदेश के लगभग दो लाख युवाओं की जिंदगी बरबाद हो चुकी है। प्रदेश सरकार की गलत नीतियों की वजह से जो भी भर्तियां होती हैं, वे अदालत की चौखट पर पहुंचकर दम तोड़ देती हैं।

सोमवार को सुप्रीमकोर्ट ने पांच अतिरिक्त अंक देने के मामले को असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया है जिसकी वजह से 23 हजार भर्तियों पर संकट मंडरा रहा है। हाईकोर्ट इसे पहले ही असंवैधानिक करार दे चुकी है। यही हाल स्थानीय युवाओं को 75 प्रतिशत नौकरियां देने के मामले में हुआ था। कोर्ट ने इसे भी असंवैधानिक बताते हुए खारिज कर दिया था। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद सीएम नायब सिंह सैनी ने युवाओं को आश्वासन देते हुए कहा है कि इस फैसले से प्रभावित होकर किसी भी युवा की नौकरी नहीं जाएगी, भले ही इसके लिए अदालत में पुनर्विचार याचिका दायर करनी पड़े या फिर सरकार को विधानसभा में विधेयक लाना पड़े।

सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बावजूद उन युवाओं की नौकरियां सुरक्षित हैं जिन्होंने पांच अतिरिक्त अंक हासिल नहीं किया है। ऐसे कर्मचारियों की नौकरियों पर इस फैसले का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। पिछले दिनों ग्रुप सी और डी में हुई भर्तियां इसी श्रेणी में आती हैं। हालांकि सरकार भले ही युवाओं को विधानसभा में विधेयक लाकर उनकी नौकरियों को सुरक्षित रखने का दावा करे, लेकिन अब तो इस बात की भी आशंका पैदा हो गई है कि वर्ष 2018 से 2022 तक हुई भर्तियां की प्रभावित न हो जाएं। इस बीच क्लर्क, पुलिस, एसआई और स्टाफ नर्स जैसी भर्तियां पांच अतिरिक्त अंक देने के प्रावधान के तहत हुई हैं।

जिन परीक्षार्थियों को इसमें मौका नहीं मिला है, वे इस मामले को लेकर कोर्ट में जा सकते हैं। यदि ऐसा हुआ, तो सरकार के सामने एक नया संकट खड़ा हो सकता है। सरकार के सामने एक संकट यह भी है कि तीन से चार महीनों के भीतर विधानसभा चुनाव होने हैं। यदि इन मुद्दों का माकूल समाधान नहीं निकाला गया, तो इसका प्रभाव चुनावों में देखने को मिल सकता है। सुप्रीमकोर्ट का फैसला सरकार के गले की फांस बन सकती है। इसलिए बेहतर यही है कि सरकार जल्दी से जल्दी पचास हजार पदों पर भर्ती करे और विवाद में फंसी 23 हजार नौकरियों को बचाने का कोई पुख्ता प्रबंध करे।

-संजय मग्गू

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