जूलियन असांजे, बहुचर्चित किंतु विवादित शख्सीयत। आज लगभग बारह साल बाद अपने परिवार के साथ आस्ट्रेलिया में रहने के लिए आजाद हैं। इसके लिए इन्हें अपने कार्यों को गुनाह मानकर अमेरिकी सरकार से समझौता करना पड़ा। पांच साल ब्रिटेन की जेल में भी बिताने पड़े। असांजे ने अपने कार्यों से अमेरिका, ब्रिटेन और स्वीडन जैसी ताकतवर लोकतांत्रिक सरकारों की चूलें हिलाकर दी थी। इस व्यक्ति ने विकीलीक्स जैसा प्लेटफार्म का निर्माण करके कई सरकारों की ऐसी-ऐसी पोल खोली कि हाहाकार मच गया। अमेरिका सरकार इस आस्ट्रेलियाई नागरिक को हर हालत में गिरफ्तार करना चाहती थी। इसके लिए एक महिला को मोहरा बनाना पड़ा। महिला ने असांजे पर यौन शोषण का आरोप लगाया। आरोप भी एकदम बचकाना। महिला ने कहा कि यौन संबंध बनाते समय मैंने मंजूरी दी थी, लेकिन बीच में मैंने मनाकर दिया। इस तरह यौन शोषण तो हुआ ही। असल में असांजे अमेरिका, ब्रिटेन सहित कई देशों की जासूसी नहीं की थी।
उसने इन देशों के सैन्य अधिकारियों, मंत्रियों, सांसदों की बातचीत और वीडियो को विकीलीक्स जैसे ओपेन प्लेटफार्म पर डाल दिया। इन वीडियो, मेल्स और दस्तावेजों में कुछ ऐसे-ऐसे दस्तावेज भी शामिल थे जिससे अमेरिकी सरकार संकट में आ गई थी। जब इराक के शासक सद्दाम हुसैन को अमेरिकी सरकार ने अपदस्थ करके मौत की सजा दी और अमेरिकापरस्त सरकार बनवाई, तो जूलियन असांजे ने उन्हीं दिनों एक ऐसा वीडियो विकीलीक्स पर अपलोड कर दिया जिसमें एक सैन्य अपाची हेलिकाप्टर में सवार फौजियों ने इराक के 11 नागरिकों को मौत के घाट उतारते दिखाया गया था। नतीजा यह हुआ कि इराक सरकार अमेरिका से नाराज हो गई और उसने ईरान की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया।
ईरान-इराक की दोस्ती को रोकने के लिए इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन को तंग करने के लिए गठित आईएसआईएस की बराक ओबामा ने पीठ ठोक दी। इसका नतीजा यह हुआ कि ईरान और इराक में आईएसआईएस की न केवल गतिविधियां बढ़ गईं, बल्कि उसने पूरे अरब क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया। आज आईएसआईएस के आतंक से पूरी दुनिया त्रस्त है। असांजे की वजह से ही हिलेरी क्लिंटन को राष्ट्रपति चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
अब सवाल यह है कि इतना सब कुछ करने के बाद असांजे को हासिल क्या हुआ? दरअसल, असांजे जैसे लोगों के दिमाग में यह बात कहीं गहरे बैठी हुई होती है कि दुनिया की लोकतांत्रिक सरकार को पारदर्शिता से काम करना चाहिए। पारदर्शी सरकार की आकांक्षा तो हर देश के नागरिक की होती है। असांजे को आजादी कैसे मिली, जैसी बातें बहुत लंबी हैं। असांजे जैसे लोग बस एक जुनून में काम करते हैं। इन्हें किसी नफे-नुकसान की उतनी चिंता नहीं होता है। पत्रकारिता भी तो ऐसी ही होती है।
-संजय मग्गू